महिला किसान दिवस


चर्चा में क्यों ?


हाल ही में 15 अक्टूबर को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और उसके विभिन्न विभागों ने ‘महिला किसान दिवस’ मनाया


मुख्य बिंदु :-


नेशनल जेंडर रिसोर्स सेंटर इन एग्रीकल्चर (एनजीआरसीए), कृषि और किसान कल्याण निदेशालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अपने मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) के सहयोग से 15 अक्टूबर, 2022 को ‘महिला किसान दिवस’ या ‘अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस’ का आयोजन किया।


उल्लेखनीय है की वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष’ के रूप में घोषित किया गया है। इसलिए इस वर्ष महिला किसान दिवस का विषय है ‘मिलेट्स : महिलाओं का सशक्तिकरण और पोषण सुरक्षा प्रदान करना’।


इस उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र तोमर के मार्गदर्शन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया और इस कार्यक्रम का तकनीकी सत्र मैनेज, हैदराबाद में भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), हैदराबाद के तकनीकी सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।


कार्यक्रम के दौरान श्री तोमर ने “भारत में कृषि और खाद्यान्‍न प्रणालियों में साक्ष्य आधारित लैंगिक असमानता” के बारे में एक पुस्तक का विमोचन किया, जो नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लिए उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगी जहां लैंगिक विश्लेषण की जरूरत है।


विभिन्न राज्यों/संस्थानों/स्टार्ट-अप्‍स प्रशिक्षण संस्थानों के वरिष्ठ और मध्यम स्तर के विस्तार कार्यकर्ताओं, महिला किसानों और कृषि-उद्यमियों व सम्पर्क वाले व्यक्तियों ने इस आयोजन में भाग लिया।


महिला स्टार्ट-अप्‍स द्वारा ‘मैनेज’, हैदराबाद में एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों की सफल महिला उद्यमियों ने अपने विचार और अनुभव साझा किए।


पृष्ठभूमि –


संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 15 अक्टूबर 2008 को पहला “अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला किसान दिवस” मनाया गया था, जिसके बाद से यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा।


गौरतलब है की विकासशील देशों में तकरीबन 43 फीसदी महिलाएं कृषि श्रमिक के रूप में कार्य करती हैं व खाद्य क्षेत्र से जुड़ी रहती है।


यह दिन पूरे देश की कृषि संरचना में ग्रामीण महिलाओं के योगदान को पहचान दिलाने के लिए मनाया जाता है जिसमें स्वदेशी महिलाएं भी शामिल हैं। ये महिलाएं ग्रामीण विकास में भी अपना योगदान देती हैं और गाँवो में गरीबी को दूर करने में हिस्सा लेती हैं।


भारत में महिला किसान


भारत की जनगणना 2011 के आंकड़े बताते हैं कि देश में तकरीबन छह करोड़ महिला किसान हैं।


आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण के 2018-19 का डेटा बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 71.1 फ़ीसद महिलाएं कृषि क्षेत्र में काम करती हैं. वहीं, पुरुषों का प्रतिशत मात्र 53.2 प्रतिशत है।


नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकॉनामिक रिसर्च के एक दूसरे शोध के अनुसार वर्ष 2018 में देश के कृषि क्षेत्र के कुल कामगारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत थी, लेकिन इसके उलट यदि मालिकाना स्थिति को देखें तो वह केवल दो फीसदी जमीन की ही मालिक हैं।


गौरतलब है की भारतीय महिलाएं पुरुषों के साथ खेती में हाथ बंटाती हैं। इसमें खेत को खेती के तैयार करना, बीज बोना और फसल काटना शामिल है। एग्रीकल्चर वैल्यू चेन से जुड़ा बाकी काम पुरुषों के हवाले है। इसमें एग्रीगेटिंग, सॉर्टिंग, ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग, पैकिंग और मार्केटिंग शामिल है।


Source – PIB