The Rise of Darkness :- ऑपरेशन आत्मा (ATMA) (Part – 2)


अनन्त भविष्य में भारत … 

अखण्ड ब्रह्मंड की चेतना के तीसरे स्तर तक पहुँचने के लिए नेपाल के पशुपतिनाथ जाने की तैयारी में था … 

“गुरुदेव क्या यह सत्य है कि इस ब्रह्मांड में कोई भी सूचना या विचार कभी समाप्त नही होती है और वह अनन्तकाल तक इस ब्रह्मांड में विचरण करता है” अखण्ड ने अपने गुरु से प्रश्न किया। 

अभी प्रभात हुई ही थी, नन्दा देवी की उस चोटी पर जो बर्फ से ढकी हुई थी, अखण्ड के आचार्य जिनकी आयु लगभग नब्बे वर्ष पार कर गई थी।

वे भगवान भास्कर को अर्घ्यदान कर रहे थे और ऋग्वेद के सूर्यसूक्त का उच्चारण कर रहे थे।

‘हे प्रकाशमान रश्मियों  के स्वामी, आप इस सूर्यमंडल के स्वामी हैं। आप उदित होकर इस पृथ्वी से अंधकाररूपी दैत्य का नाश करते हैं, जिस प्रकार आप अंधकार रूपी बुराई का नाश करते हैं, उसी प्रकार हमारी सभी बुराइयों से रक्षा करिए,….

फिर उन्होंने कहा “हे अदिति के महान पुत्र सूर्यदेव- मित्र, वरुण, सिन्धु, पृथ्वी और द्युलोक के अधिष्ठातृ सभी देवता मेरे साक्षी और हमारे सहायक हो। ” … 

फिर वे मुड़े और अपना पात्र अपने आसन पर रखकर बैठ गए और सूर्य की ओर देखकर बोले, जो अभी हल्की हल्की लालिमा के साथ उदित हो रहे थे “अखण्ड तुम तो एक सेनापति होने के साथ बड़े भौतिक वैज्ञानिक भी हो, मुझे नही पता लेकिन तुम अवश्य जानते होंगे, इस ब्रह्मांड का कोई भी स्थान रिक्त नही है।”

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फिर वे अपने दोनों हाथों को बिल्कुल नजदीक लेकर आए और बोले “तुमको क्या लगता है मेरे दोनों हाथों के बीच में क्या है”

अखण्ड ने उनके दोनों हाथों को ध्यान से देखा फिर बोला “आपके हाथों के बीच मे सामान्य तौर पर तो कुछ नही है, लेकिन यदि विज्ञान की भाषा में देखा जाए तो आपके हाथों के बीच में वायु है क्योंकि वायु तो प्रत्येक स्थान पर उपस्थित होती है”।

फिर गुरुदेव ने हँसते हुए कहा …. “और विचार करो पुत्र, यदि इस स्थान से पूरी तरह से वायु को निकाल दिया जाए अथवा यह स्थान निर्वात हो जाए, तब क्या बचेगा ….

अथवा यह विचार करो कि तुम किसी ऐसे ग्रह पर हो जहाँ वायु नही है। जैसे चन्द्रमा पर, जहाँ तुमने युद्ध भी किया है। तब इस रिक्त स्थान में क्या होगा”…. 

अखण्ड काफ़ी आश्चर्य में कुछ समय तक विचार करता रहा। फिर उसने कहा “गुरुदेव बहुत सारे बैक्टीरिया, जीव, आदि”….

गुरुदेव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोले “पुत्र, तुम हर तरह से सक्षम हो, लेकिन अभी तुम्हें कई स्तर पार करने हैं, जिस दिन इस रहस्य को जान जाओगे। उसी दिन तुम्हारी यात्रा पूर्ण हो जाएगी और तुम महान प्रभु रुद्र के महत्व को जान जाओगे।”

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फिर उन्होंने कहा “अच्छा यह बताओ क्या तुम अभी भी वही स्वप्न देखते हो”…

“गुरुदेव, हां वही स्वप्न जिसमें एक व्यक्ति जिसके शरीर से अनन्त ऊर्जा निकल रही हैं और जो किसी ऐसे स्थान पर युद्ध कर रहा है जो चारो ओर बर्फ से ढकी हुई है, उसके सामने अजीब प्राणियों की अनन्त सेना हैं, फिर मैं देखता हूँ कि किसी अत्यंत पवित्र नदी के किनारे रुदन हो रहा है।फिर मुझे अनन्त काले नाग और आसमान में अजीब प्रकाश दिखाई पड़ता है। “….

अखण्ड आगे कुछ बोलता तभी सामने नंदा देवी की चोटी पर एक चॉपर की गड़गड़ाहट सुनाई दी। वह बर्फ को उड़ाते हुए जमीन पर उतरा उससे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार उतरे, उनके साथ दो काला चश्मा लगाए कमांडो थे।”….

वे उतरकर उस आश्रम पर पहुँचे NSA ने गुरुदेव को झुककर प्रणाम किया “आचार्य आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने हमारी विनती को स्वीकार किया और हमारे एक योद्धा को बचा लिया”….

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अखण्ड को आश्चर्य हुआ “यह आप क्या कह रहे हैं। क्या आचार्य भी आपके साथ है, और मैने अब सरकारी नौकरी त्याग दी है “

“नही जब तुम इस स्थान पर आए थे तभी हमने गुरुदेव से प्रार्थना की थी कि वे तुम्हें पुनः उस विषाद की मनोदशा से बाहर निकाले जिस कारण तुमने उस अभियान के बाद सब कुछ त्याग दिया था तुमने नौकरी त्यागी है लेकिन हमने तुम्हे कभी नही छोड़ा है, और आज तुम्हें हम नौकरी के लिए लेने नही आए हैं बल्कि देश और मानवता को तुम्हारी आवश्यकता है। ” NSA ने जवाब दिया ..

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फिर वे बोले “हमारे वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट आत्मा पर जितना काम किया, वह तभी पूरा हो सकता है जब तुम हमारा साथ दो, क्योंकि हमें डेटा मिला है कि उन्होंने हमारे सूर्यमंडल के अंतिम सुरक्षा घेरे ‘हिलियोपास’ को तोड़ दिया है और अब उन्हें पृथ्वी तक आने में एक वर्ष से ज्यादा समय नही लगेगा और हमें उन्हें इस सूर्यमंडल के बाहर ही रोकना है। अन्यथा सब समाप्त हो जाएगा ….

काफ़ी विचार विमर्श के बाद अखण्ड दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गया …

लेखक : ध्रुव कुमार