The Rise of Darkness: अनन्त भविष्य


The Rise of Darkness: अभी कुछ समय पहले भारत सरकार व इसरो ने घोषणा की है कि ‘हम 2024 तक शुक्र ग्रह पर मिशन भेजेंगे, जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है और मैं तो रोमांचित हूँ।

तो आइए चलिए शुक्र ग्रह की यात्रा पर, वैज्ञानिक इस ग्रह को हमारे सूर्यमंडल का नर्कलोक भी कहते हैं। यह ग्रह कभी पृथ्वी के समान ही जल से परिपूर्ण था लेकिन आगे चलकर यह नर्क में बदल गया।

यह ज्ञात होने के पश्चात कि देवासुर संग्राम के समय बचे हुए कुछ कालकेय दैत्यों ने इस सूर्यमंडल से भागकर आकाशगंगा के दूसरे छोर पर स्थित किसी डार्क_नाईट ग्रह के निवासी आसमानी पिशाचों के पास शरण ली थी और अब उन्होंने इसकी जानकारी शुक्र ग्रह के निवासी असुरों को भी दे दी है, ताकि वे भी तैयार हो सके और अब उनका उद्देश्य पुनः शक्ति एकत्र कर सौर्यमण्डल पर अधिकार करना है ….

देवराज इंद्र ने यह निर्णय लिया कि “हम स्वयं शुक्र ग्रह पर जाएगे और वृतासुर को हर तरह से समझाएंगे कि वह उन पिशाचों से दूर रहे क्योंकि वे ना सिर्फ देवताओं और मानव जाति के लिए संकट पैदा करेंगे बल्कि स्वयं असुरों का अस्तित्व भी संकट में पड़ जाएगा”..

इंद्र ने अपने दूत शलभ को आदेश दिया कि “सेनापति, सेना की एक टुकड़ी के साथ तुरन्त आकर उनसे मिले .. क्योकि पूरी तैयारी के साथ ही नर्कलोक जाना उचित होगा, क्योंकि यदि असुरों ने बदला लेने के लिए हमला किया तो उसका जवाब भी समुचित रूप से दिया जाएगा”

साथ ही जाने से पहले उन्होंने वायुदेव और वरुणदेव को गुरु बृहस्पति को जगाने के लिए भी भेज दिया ”

पूरी एक लाख की सेना के साथ देवराज इंद्र और उनका सेनापति प्रत्युस अपने-अपने विमानों पर सवार होकर प्रकाश के वेग से सौर्यमण्डल के सबसे खतरनाक ग्रह शुक्र के लिए रवाना हुए ….

शुक्र ग्रह जिसका जन्म भले ही पृथ्वी के जुड़वा ग्रह के रूप में हुआ था लेकिन आज यह सौर्यमण्डल का सबसे खतरनाक ग्रह है ।चारों ओर फटते विशालकाय ज्वालामुखी, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड का विशाल वायुमण्डल हैं , जिस कारण वहां तापमान लगभग 1200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है ।

इस ग्रह के आसमान से सल्फ्यूरिक एसिड और पिघले हुए मेटल्स की बारिश होती है , दबाव इतना ज्यादा कि वह किसी भी साधारण व्यक्ति को कुचलकर पेस्ट में तब्दील कर दे ..

अपनी इस खतरनाक अवस्था के कारण ही आज इसे सौर्यमण्डल का नर्क माना जाता है…

देवताओं ने वहाँ जाने के पश्चात देखा कि राक्षस अपने इंजीनियर मायासुर के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हथियार और विमानों का निर्माण कर रहे हैं और इस काम में हजारों कामगार, विशालकाय और खतरनाक जीव जैसे मैमथ (हाथी का आदिम रूप) आदि लगे थे..

इन्द्रादि देवताओं को देखते ही वृत्तासुर ने कहा कहा ” आओ मेरे प्यारे भाई इस नर्कलोक मे तुम्हारा स्वागत है, आज इतने समय के बाद तुम्हे अपने भाई की याद कैसे आ गई ? सत्ता भोग से मन भर गया क्या जो नर्क में रहने चले आए या यहाँ भी हमें मारने आए हो ”

इंद्रदेव ने कहा ” नही भाई हम तुमसे लड़ने या तुम्हे मारने नही आए हैं, बल्कि तुम्हे यह समझाने आए हैं कि तुम उन पिशाचों का साथ लेना बंद करो क्योकि वे किसी के नही है वे हमें तो नुकसान पहुँचा ही सकते हैं लेकिन वो इस पूरे सौर्यमण्डल को और तुमको भी नष्ट कर देंगे ” …

वृतासुर जोर से हंसा और बोला “अच्छा तो तुम यहाँ इसलिए आए हो क्योंकि तुमको डर लग रहा है कि कही तुम्हारी सत्ता ना छिन जाए .. क्या तुमको दिखता नहीं कि हम इस नर्क में किस तरह रह रहे हैं और तुम वहाँ स्वर्गलोक में मजे कर रहे हो”…..

“तुम लोगों ने हमारे साथ तब भी छल किया था जब आकाशगंगा से कई रत्न प्राप्त हुए थे जैसे अमृत जो आयु बढ़ाता है, कामधेनु गाय ,पारस पत्थर जो किसी भी चीज को सोना बना देता है, कल्प वृक्ष जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है , इन सबको तुमने अपने पास रख लिया बदले में हमें क्या मिला ? यह नर्कलोक और हमारी इतनी बदसूरत शक्ल।

अब हम इसका बदला लेकर रहेंगे … ” चारों ओर असुरराज की जय के नारे गूंजने लगे।

इंद्र ने कहा “भाई तुमको इन सब चीजों से इसलिए वंचित किया गया था क्योंकि तुम प्रकृति के नियमों को नही मानते हो और धर्म के नियमों यथा सदाचार और लोगों का कल्याण का उल्लंघन करते हो .. ”

वृतासुर ने कहा ” नियम कमजोरो के लिए होते हैं शक्तिशाली अपने नियम खुद बनाते हैं ” …

जब किसी तरह से कोई रास्ता नहीं निकला तो इंद्र ने बल प्रयोग और युद्ध का निर्णय लिया और बोले ” तो देखते हैं किसके पास शक्ति है सेनापति प्रत्युस आक्रमण … ”

इसी के साथ घनघोर युद्ध शुरू हो गया.. इंद्र ने अपने वज्र से बिजली बरसानी प्रारंभ की ..

सेनापति ने अपनी विशाल तलवार से हमला किया। विशालकाय राक्षसों ने भी देवताओं पर हमला बोल दिया ..

उनकी सेना में एक से एक खतरनाक हथियार थे तथा उनके योद्धाओ का आकार और बनावट भी देवताओं के सैनिकों से विशाल था ..

घनघोर युद्ध हुआ हजारों सैनिक मारे गए रक्त की धारा बहने लगी इसी बीच वृतासुर ने इंद्र के सेनापति को घेर लिया घनघोर द्वन्द हुआ लेकिन सेनापति उसका मुकाबला नहीं कर सका और उसकी मृत्यु हो गई ..

सेनापति की मौत के बाद देवराज की सेना में भगदड़ मच गई .. इसी बीच देवगुरू बृहस्पति ,वरुण और वायुदेव के साथ शुक्र ग्रह पर पहुंच गए ..

उन्हें वरुण और वायु ने बहुत प्रयास करके अभी कुछ समय पूर्व ही समाधि से जगाया था ..

उनके साथ दैत्यगुरु शुक्राचार्य भी थे। दोनों गुरुओं के द्वारा बीचबचाव के बाद युद्ध समाप्त हो गया और आगे पुनः एक दूसरे पर हमला ना करने का फैसला हुआ। ..

जब देवता जाने लगे तब वृतासुर ने कहा “इंद्र आज तो तुम बच गए लेकिन आगे तुमको कौन बचाएगा क्योकि तारकासुर आ रहा है ” …

देवता अपने वायुयानों पर सवार होकर जब लौट रहे थे तो रास्ते में इंद्र ने गुरु बृहस्पति से पूछा “महाराज ये कैसे मुमकिन है कि आसमानी दैत्य पुनः वापस आ गया उसको मारने वाला कौन है मुझे तो फिलहाल कोई नही दिख रहा ” …

बृहस्पति ने जवाब दिया ” उसका उपाय तो आपको ही निकालना होगा आपके पूर्ववर्ती इन्द्र ने भी उन्हें परास्त किया था ” .. और इसके साथ ही देवता स्वर्गलोक अर्थात बृहस्पति ग्रह पहुंच गए ..

Dhruv Kumar