भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई)


चर्चा में क्यों ?

वर्ष 2022 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भी अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं, इस उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु :-

  • साल 2022 में देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी साल भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भी अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
  • अपनी रजत जयंती समारोह मनाते हुए ट्राई की ओर से आज इंडिया मोबाइल कांग्रेस के मंच पर “प्रसारण के क्षेत्र में उभरते रुझान” पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस क्षेत्र में हाल के तकनीकी विकास और उनके प्रभाव को लेकर संगोष्ठी में चर्चा की गई।
  • इस संगोष्ठी में विचार-विमर्श को दो सत्रों में विभाजित किया गया था। पूर्वाह्न सत्र में समान अवसर, रैखिक प्रसारण को विनियमित करने, नए युग की सामग्री लिखने वालों और ऐसी नीति जिसका लाभ सभी को आसानी से मिल सके उसे सक्षम बनाने एवं नियामक ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • दूसरे सत्र में शिक्षा क्षेत्र में रेडियो प्रसारण की भूमिका, रेडियो प्रसारण और मीडिया व मनोरंजन क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए समाभिरूपता के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दों को शामिल किया गया।
  • उद्योग और अन्य साझेदारों के साथ सहयोग से काम करने के लिए ट्राई की अगुआई में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि नियामक ढांचा नए तकनीकी विकास और उनको अपनाने में बाधा नहीं डालता है।
  • संगोष्ठी न केवल नियामक व्यवस्था के दृष्टिकोण से बल्कि समग्र रूप से साझेदारों के रूझानों की मूलभूत समझ को विकसित करने और वर्तमान व्यवस्था पर उनके प्रभाव पर चर्चा को बढ़ावा देने में सफल रही।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के बारे में

  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण जिसे टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के नाम से जाना जाता है एक स्वायत्त नियामक प्राधिकरण है जो भारत में दूरसंचार पर नियंत्रण हेतु स्थापित किया गया है।
  • इसकी स्थापना भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम-1997 के अधीन 20 फरवरी, 1997 को की गयी थी।
  • TRAI का का मिशन है उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षणं सुनिश्चित करना तथा इसके साथ-साथ दूरसंचार, प्रसारण और केबल सेवाओं के विकास के लिए ऐसी रीति और ऐसी गति निर्धारित करना जो भारत को उभरते हुए भूमंडल के सूचना समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए समर्थ बना सके ।
  • इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक है-एक उचित और पारदर्शी नीति व वातावरण प्रदान करना, जो सभी कंपनियों के लिए समान अवसरों को प्रोत्साहित करता है तथा समुचित प्रतिस्पर्धा को सुकर बनाता है।
  • गौरतलब है की केंद्र सरकार ने 9 जनवरी, 2004 की अधिसूचना के माध्यम से देश में प्रसारण तथा टेलीविजन सेवाओं को दूरसंचार सेवाओं के अधिकार क्षेत्र में ला दिया है। इस प्रकार, वर्ष 2004 में, ट्राई को देश में प्रसारण और केबल टेलीविजन सेवाओं को विनियमित करने की शक्तियां भी प्रदान की गईं।
  • उल्लेखनीय है की भारत का दूर संचार नेटवर्क एशिया की उभरती अर्थ व्‍यवस्‍थाओं में दूसरा सबसे और विश्‍व का तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। TRAI का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

प्रमुख लक्ष्य –

  • सभी शेयरधारकों को अवसर प्रदान करके निर्णय लेने में पारदर्शिता लाना।
  • उपभोक्ताओं को पर्याप्त विकल्प, वहन-योग्य टैरिफ तथा सेवा की उच्च गुणवत्ता प्रदान करना।
  • सेवा प्रदाताओं के बीच समान अवसरों तथा उचित प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना।
  • विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाली दूरसंचार, प्रसारण और केबल सेवाओं तक पहुंच सुलभ कराना।
  • उद्योग के सभी स्तरों में प्रचालन में कार्यकुशलता को प्रोत्साहित करना।
  • प्रौद्योगिकी निष्पक्ष नीति के ढांचे के भीतर उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
  • सेवा प्रदाताओं के बीच तकनीकी सामंजस्य और प्रभावी अंतरसंयोजन सुनिश्चित करना।

प्राधिकरण की संरचना –

  • TRAI में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
  • अध्यक्ष और अन्य सदस्य तीन वर्ष की कार्यकाल अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक नियुक्त किये जाते है।
  • केंद्र सरकार प्राधिकरण के सदस्यों में से एक को TRAI के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर सकती है।
  • अध्यक्ष के पास सामान्य अधीक्षण की शक्तियाँ होती हैं। वह TRAI की बैठकों की अध्यक्षता करता है। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की शक्तियों और कार्यों का प्रयोग और निर्वहन करता है।

सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया:

केंद्र सरकार को TRAI के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार है, यदि वह:

  • जो दिवालिया घोषित किया गया है।
  • जो एक ऐसे अपराध के लिये दोषी ठहराया गया है, जिसमें केंद्र सरकार की राय में नैतिक अधमता शामिल है।
  • जो शारीरिक या मानसिक तौर पर सदस्य के रूप में कार्य करने में अक्षम हो गया है।
  • जिसने ऐसा वित्तीय या अन्य हित अर्जित कर लिया है जिससे सदस्य के रूप में उसके कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
  • जिसने अपने पद का दुरुपयोग किया है तथा उनके पद पर बने रहने से जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्राधिकरण की शक्तियाँ –

  • प्राधिकरण की आवश्यकता के अनुसार यह किसी भी सेवा प्रदाता को अपने मामलों से संबंधित सूचना या स्पष्टीकरण लिखित रूप में प्रस्तुत करने के लिये कह सकता है।
  • प्राधिकरण किसी भी सेवा प्रदाता के मामलों में जाँच करने के लिये एक या अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है।
  • इसे अपने किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को किसी भी सेवा प्रदाता के खातों या अन्य दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने का निर्देश देने का अधिकार है।
  • प्राधिकरण के पास सेवा प्रदाताओं को ऐसे निर्देश जारी करने की शक्ति होगी जिसे सेवा प्रदाताओं द्वारा कार्य करने के लिये वह उचित एवं आवश्यक समझे।

शिकायत समाधान –

  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के कॉमन चार्टर ऑफ टेलीकॉम सर्विस, 2005 के अनुसार सेवा प्रदाता को अपने उपभोक्ता की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखना होता है।
  • इसे लाइसेंस प्रदाता और लाइसेंस धारक के बीच, दो या दो से अधिक सेवा प्रदाताओं के बीच और एक सेवा प्रदाता तथा उपभोक्‍ताओं के समूह के बीच किसी विवाद को निपटाने के लिए अधिकार और ट्राई के किसी निर्देश, निर्णय या आदेश के विरुद्ध अपील की सुनवाई और उसके निपटान का अधिकार दिया गया है।
  • यदि उपभोक्ता को अपनी समस्या का समाधान सेवा प्रदाता कॉल सेंटर द्वारा नहीं मिलता तो वह अपनी शिकायत नोडल अधिकारी के यहां दर्ज करा सकता है।
  • वहां से भी समस्या का उचित हल न मिल पाने पर उपभोक्ता अपीलेट अथॉरिटी में अपनी शिकायत कर सकता है।
  • सेवा प्रदाता का दायित्व होता है कि वह अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के सक्रिय होने के एक सप्ताह के भीतर उपभोक्ता को टैरिफ योजना के बारे में जानकारी दे दे। बिना इसकी स्वीकृति के उसे मूल्य वर्धित सेवाओं यानि वैल्यू एडेड सर्विस प्रदान नहीं की जा सकती हैं।
  • इसी के तहत TRAI अधिनियम में वर्ष 2000 में संशोधन किया गया जिसने TRAI के न्यायिक और विवाद कार्यों को संभालने के लिये एक दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना की गयी।
  • TDSAT का गठन लाइसेंसदाता एवं लाइसेंसधारी, दो या अधिक सेवा प्रदाताओं, सेवा प्रदाता तथा उपभोक्ता समूहों के बीच विवादों पर निर्णय करने एवं TRAI के किसी निर्देश, निर्णय या आदेश के विरूद्ध अपील को सुनने एवं निस्तारण के लिए किया गया है।
  • TDSAT में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। सदस्यों का चयन भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
  • TDSAT द्वारा पारित एक आदेश दीवानी न्यायालय के डिक्री के रूप में निष्पादन योग्य है; ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ हैं।
  • यह नागरिक प्रक्रिया संहिता द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। ट्रिब्यूनल के पास अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्तियाँ हैं।

Source – PIB