खेल प्रशासन व अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ का निलंबन


चर्चा में क्यों

अभी हाल ही में फुटबॉल की वैश्विक संस्था “फीफा” ने तीसरे पक्ष के गैर-जरूरी हस्तक्षेप को बताते हुए “अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ”(AIFF) को निलंबित कर दिया है।

प्रमुख बिन्दु

  • फ़ीफ़ा के नियमों के मुताबिक़ फुटबॉल की संचालन बॉडी में स्वायत्तता का होना अनिवार्य है। अर्थात AIFF को किसी भी राजनीतिक दख़ल से मुक्त होना चाहिए साथ ही इसमें तीसरे पक्ष का कोई क़ानूनी दख़ल भी नहीं होना चाहिए।

फीफा की ओर से कहा गया है कि “यह हमारे नियमों का गम्भीर उल्लंघन है। निलंबन तभी हटेगा जब AIFF कार्यकारी समिति की जगह सी. ई. ओ. के गठन का फैसला वापस लिया जाएगा। और AIFF प्रशासन को महासंघ के रोजमर्रा के काम का नियंत्रण दिया जाएगा।”

-यहाँ तीसरे पक्ष का तात्पर्य किसी खेल की वैश्विक संस्था और राष्ट्रीय खेल संघ के बीच उस देश की सरकार कोर्ट या कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के हस्तक्षेप से है।

वही भारत में AIFF की कमान एक दशक से ज़्यादा समय तक फ़ीफ़ा काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रफुल पटेल के पास रही है, जो सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं। पटेल AIFF के अध्यक्ष तीन बार रहे हैं।

AIFF के अध्यक्ष का कार्यकाल चार सालों के लिए होता है। “नेशनल स्पोर्ट्स कोड” के तहत पटेल अब AIFF के अध्यक्ष नहीं बन सकते हैं लेकिन 2020 में पटेल का टर्म पूरा होने के बावजूद अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कोई नया चुनाव नहीं हुआ।

AIFF को लगता है कि ऐसा उसके संविधान में संशोधन के कारण हुआ। AIFF में दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन फुटबॉल दिल्ली इस मामले को अदालत में लेकर गया और आरोप लगाया कि प्रफुल पटेल को अवैध तरीक़े से पद पर बनाए रखा गया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई महीने में AIFF को भंग कर दिया था और एक तीन सदस्यीय कमिटी की नियुक्ति की थी। इस कमिटी को ज़िम्मेदारी दी गई थी कि AIFF के संविधान का संशोधन कर चुनाव कराया जाए, जबकि दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा “भारतीय ओलंपिक संघ की कमान” प्रशासकों की एक समिति को सौप दी गई थी।

  • फीफा AIFF में सीईओ की नियुक्ति से खुश नहीं था। सीईओ ने AIFF के संविधान के नए मसौदे में खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व 50%रखा था जबकि फीफा चाहती थी कि यह 25% तक सीमित हो।
  • इसके साथ ही चुनाव के लिए मतदाताओं की सूची में बाईचुंग भूटिया सहित 36 खिलाड़ियों को शामिल किया गया जिसको लेकर फीफा ने आपत्ति जताई थी।

-और ऐसा भी नहीं है कि भारत कोई पहला देश नहीं है, जिसे इस नियम के कारण निलंबित किया गया है। बेनिन, कुवैत, नाइजीरिया और इराक़ को भी अतीत में इस नियम के उल्लंघन में निलंबित किया गया था।

पिछले साल पाकिस्तान के फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन को इसी नियम के तहत प्रतिबंधित किया गया था। जुलाई 2022 में पाकिस्तान से प्रतिबंध हटाया गया था हालाँकि कीनिया और ज़िम्बॉब्वे पर यह प्रतिबंध अब भी है।

क्या होगा प्रभाव

फ़ीफ़ा और एशियन फ़ुटबॉल कॉन्फेडरेशन (एएफ़सी) ने भारत में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था। यह प्रतिनिधिमंडल एएफ़सी के महासचिव विंडर जॉन के नेतृत्व में आया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने भारत में फुटबॉल के अलग-अलग लोगों से बात की थी।

आख़िरकार फ़ीफ़ा ने भारत को निलंबित कर दिया फ़ीफ़ा ने अपने बयान में कहा है, ”AIFF प्रशासन जब पूरी तरह से काम करने लगेगा तो प्रतिबंध हटा दिया जाएगा।”

मीडिया कंसल्टिंग फर्म ओर्मैक्स के अनुसार, भारत में 2.34 करोड़ लोग फुटबॉल देखते हैं। हाल के वर्षों में भारतीयों का फ़ुटबॉल के प्रति आकर्षण बढ़ा है. लेकिन फ़ीफ़ा के निलंबन से इस पर बुरा असर पड़ेगा।

इस निलंबन का मतलब है कि भारत कोई अंतरराष्ट्रीय मैच की मेज़बानी नहीं कर पाएगा। भारत इन मैचों में हिस्सा भी नहीं ले सकता है। भारत के फ़ुटबॉल क्लब किसी विदेशी खिलाड़ी से समझौते नहीं कर सकते हैं। इस निलंबन का असर घरेलू टूर्नामेंट पर नहीं पड़ेगा।

लेकिन इसका सबसे ज़्यादा असर महिला फुटबॉल पर पड़ेगा। भारत अंडर-17 महिला फुटबॉल विश्व कप 2020 की मेज़बानी करने वाला था लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था।

इसके बाद इसे इस साल 11 से 30 अक्टूबर तक होना था।मेज़बान होने के नाते भारत के इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का मौक़ा मिला था। इस निलंबन का मतलब है कि भारत की लड़कियाँ नहीं खेल पाएँगी।

अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन AIFF

 एआइएफएफ भारत में फुटबॉल का प्रमुख शासी निकाय है । यह भारत सरकार के युवा व खेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसकी स्थापना 1937 में की गई। 1948 में यह फीफा से जुड़ा।

AIFF महासंघ एशियाई फुटबॉल परिसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक है।

इसका मुख्यालय – दिल्ली के द्वारिका में है।

फीफा

फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (एसोसिएशन फुटबॉल का अंतरराष्ट्रीय महासंघ का फ्रांसीसी नाम), जिसे फीफा के नाम से जाना जाता है।यह फुटबॉल का अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण निकाय है।

मुख्यालय– ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड 

स्रोत – BBC हिन्दी, Indian Express