रोपवे: सार्वजनिक परिवहन का नया क्षेत्र


कुछ समय पहले सार्वजनिक परिवहन में रोपवे का उपयोग करने वाला वाराणसी भारत का पहला शहर बना था। बाद में सरकार ने इसी तरह की परिवहन प्रणाली का उपयोग अन्य शहरों में करने के लिए पर्वतमाला नामक एक योजना की भी शुरुआत की। इस तरह की 8 योजनाएं और भी शहरों में शुरू की जाएंगी। इनकी कुल दूरी 60 किमी होगी।

हाल ही में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने रोपवे को परिवहन और पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित करने के लिए एक खाका तैयार किया है। रोपवे के माध्यम से सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने का सबसे अच्छा उदाहरण कोलंबिया है। यहाँ पर प्रतिघंटा 3600 लोग यात्रा करते है। भारत में असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर 1.8 किमी का रोपवे बनाया गया है।

रोपवे के लाभ

रोपवे का सार्वजनिक परिवहन के रूप में उपयोग करने से समय की भी अच्छी खासी बचत होती है। इसके लिए भूमि का अधिग्रहण करने की भी आवश्यकता न है। ये पर्यावरण हितैषी है। इसके तहत प्रोजेक्ट भी जल्दी से पूरे हो जाते है।

ये मिथक कि इससे बहुत कम लोग यात्रा करते है। इसका खंडन कोलंबिया और कुछ यूरोपीय देशों में इस परिवहन का सफल इस्तेमाल करते है। रोपवे की मदद से दुर्गम इलाको में भी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुँचा जा सकता है।

रोपवे का भारत मे नियमन

राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड इसके विकास संबंधी सभी काम को पूरा करती है। इसके अलावा परिवहन मंत्रालय को इस सम्बंध में नियमो के मानकों का विकास भी करना चाहिए ताकि किसी दुर्घटना होने की स्थिति में आकस्मिक योजना बनाई जा सकें।

भारत इस सम्बंध में किससे सीख सकता है?

यूरोपीय संघ को इस संबंध में महारत हासिल है। भारत इन देशों से रोपवे के निर्माण से लेकर कुशल संचालन संबंधी हर एक प्रक्रिया सीख सकता है। भारत जिस आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। रोपवे के क्षेत्र में अगर आत्मनिर्भरता हासिल की जाती है तो ये इस सिर्फ हमारी परिवहन व्यवस्था में सुधार लाएगा बल्कि भारत रोपवे की तकनीकी और हार्डवेयर सम्बंधी निर्यात भी कर सकता है।

संकर्षण शुक्ला