राजभाषा कीर्ति पुरस्कार


चर्चा में क्यों ?

हाल ही में सीएसआईआर की लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान प्रगति’ को ‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’ प्रदान किया गया  

मुख्य बिंदु :-

  • सीएसआईआर की लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका “विज्ञान प्रगति” ने एक नया इतिहास रच दिया है। इस पत्रिका को राष्ट्रीय राजभाषा कीर्ति पुरस्कार (प्रथम स्थान) प्राप्त हुआ है और यह पुरस्कार पंडित दीन दयाल उपाध्याय इंडोर स्टेडियम, सूरत  में 14-15 सितंबर 2022 के दौरान आयोजित दूसरे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में प्रदान किया गया।
  • राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जिसे लगभग 9000 दर्शकों ने देखा।
  • सूरत राजभाषा सम्मेलन में, सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) की निदेशक, प्रो. रंजना अग्रवाल ने केन्‍द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में यह प्रतिष्ठित कीर्ति पुरस्कार ग्रहण किया।

क्या है राजभाषा कीर्ति पुरस्कार?

  • राजभाषा कीर्ति पुरस्कार हिन्दी दिवस के दिन दिया जाता है। इस पुरस्कार योजना के तहत कुल 39 पुरस्कार दिये जाते हैं।
  • इस पुरस्कार को किसी विभाग, मण्डल, समिति आदि को दिया जाता है।
  • वे संस्था जो हिन्दी भाषा में अपने कार्यों को कर अच्छी प्रगति हासिल करती है, उसे यह पुरस्कार दिया जाता है।

विज्ञान प्रगति’ के बारे में

  • ‘विज्ञान प्रगति’ (हिंदी में एक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका) भारत की सबसे लोकप्रिय विज्ञान पत्रिकाओं में से एक है। यह बच्चों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और भारत के साथ-साथ दुनिया भर की जनता के बीच लोकप्रिय है।
  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)  ने 1952 में इस पत्रिका को प्रकाशित करना शुरू किया।
  • इसमें सात दशकों की विरासत है और इन वर्षों में, इस पत्रिका के पाठक इसमें प्रकाशित सामग्री से प्रेरित हुए हैं।
  • हिन्‍दी के इस मासिक प्रकाशन में हाल के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित विकास, खोज, आविष्कार, लेख, फीचर, विज्ञान कथा, विज्ञान कविता, प्रश्नोत्तरी, साइंटून (विज्ञान कार्टून) और डॉक्यूड्रामा के रूप में तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी दी जाती है।
  • विज्ञान प्रगति का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सरल भाषा में जन-जन तक पहुँचाना है। पत्रिका की विषयवस्तु का उद्देश्य युवाओं में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा को जगाना और विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए उनमें रुचि विकसित करने का प्रयास करना है। जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हुए हैं, वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में प्रामाणिक जानकारी के स्रोत के रूप में इस पत्रिका का उपयोग करें।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 ए [एच] ने जोर दिया और कहा कि प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक स्वभाव, अनुसंधान की भावना, मानवतावाद और सुधार के बारे में जानकारी का विस्‍तार करे। विज्ञान पत्रिकाएं आम आदमी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की जानकारी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनमें वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करती हैं।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के बारे में

  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है। CSIR एक अखिल भारतीय संस्थान है जिसमें 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों का एक सक्रिय नेटवर्क शामिल है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1942 में की गयी थी
  • CSIR विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा का वित्तपोषण किया जाता है तथा यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में पंजीकृत है।
  • CSIR अपने दायरे में रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी, समुद्र विज्ञान, भू-भौतिकी, रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, वैमानिकी, उपकरण विज्ञान, पर्यावरण अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तक की एक विस्तृत विषय शृंखला को शामिल करता है।
  • यह सामाजिक प्रयासों के संबंध में कई क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान करता है जिसमें पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि-क्षेत्र और गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं।
  • परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्त्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान करना है।
  • इसके पदेन अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री, पदेन उपाध्यक्ष केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, महानिदेशक (Director General) शासी निकाय का प्रमुख होता है। इसके अतिरिक्त वित्त सचिव (व्यय) इसका पदेन सदस्य होता हैं।
  • अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है।

CSIR सलाहकार बोर्ड-

  • यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों का 15 सदस्यीय निकाय होता है।
  • इसका कार्य शासी निकाय को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी सलाह या इनपुट्स प्रदान करना है।
  • इसके सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है।

Source – PIB