करवाचौथ पर ये “छलनी से पति को देखने वाला प्रसङ्ग”


पिछली बार मैने लिखा था कि करवाचौथ पर ये “छलनी से पति को देखने वाला प्रसङ्ग” विशुद्ध रूप से बॉलीवुड और एकता कपूर की देन है, तो कई लोग नाराज हो गए थे। जबकि ये सच है कि फिल्मों और धारावाहिकों ने इसे पापुलर किया हैं।

इसमें नाराज होने की कोई बात नहीं है बल्कि यह तो अच्छी है कि कम से कम इसी माध्य्म से एक त्यौहार पॉपुलर हुआ। कई लोग स्वयं कहते हैं।

लेकिन मेरा कहना है कि कम से कम त्यौहार करने से पहले उसके बारे में जानकारी इक्कठा कर लीजिए।

हमारे यहाँ तो दादी नानी भी करवाचौथ करती थीं। उनके पूजा करने का तरीका अलग था। दिन भर व्रत करती थी। और शाम में सुहाग का जोड़ा ही पहनकर पूजा करती थीं, हर साल बदल बदल कर नही पहनती थी। आज भी यही परम्परा है।

इसके अलावा छलनी से पतिदेव को नही देखा जाता है यह अत्यंत अशुभ माना जाता है। बल्कि मूल कथा के विपरीत है। दादी लोग नई महिलाओं को अक्सर डांट देती थी। क्योंकि मूल कथा के अनुसार एक बहन के सात भाई थे।

करवाचौथ के दिन अपनी बहन की अवस्था को देखकर उन्हें दुख हो रहा था इसीलिए उन्होंने व्रत खत्म करने के लिए आग जलाई ।

बहन बोली- ‘भाई! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है, उसके निकलने पर मैं अर्घ्य देकर भोजन करूंगी।’

इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा ‘बहन! चन्द्रमा निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो।’

बहन अपनी भाभियों को भी बुला लाई कि तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे लो, किन्तु वे अपने पतियों को जानती थीं।

इसीलिए उन्होंने कहाँ की अभी चन्द्रमा नही निकला है। तुम्हारे भाई छल कर रहे हैं।लेकिन बहन ने अपने भाइयों पर विश्वास करके उसे अर्ध्य दे दिया।

इसके बाद उसके पति की तबियत बिगड़ने लगी और वे मृत्यु की अवस्था को पहुँच गए। तब उसे अहसास हुआ कि उसके भाइयों ने उसके साथ छल कपट किया था।

इसके बाद उसने अगले साल पूरी निष्ठा से व्रत करने का निर्णय लिया इसके बाद उसके पति स्वस्थ हो गए। फिर उसने पूरे विधि विधान से पूजन किया।

अतः भैय्या लोग भीध्यान दे स्वस्थ रहना है तो छलनी से दूर रहे

सभी भउजी, आंटी, दद्दी लोगों को करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएं

लेखक – ध्रुव कुमार