अब हिन्दी में होगी MBBS की पढ़ाई


चर्चा में क्यों?

अमित शाह 16 अक्टूबर को एमबीबीएस प्रथम वर्ष की किताबों का हिंदी संस्करण लॉन्च करेंगे।

प्रमुख बिन्दु ….

यह निर्धारित लॉन्च ऐसे समय में हुआ है जब दो दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिंदी भाषी राज्यों और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रमुख संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी को नियोजित करने के एक कथित कदम के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है।

गौरतलब है कि एमबीबीएस की पढ़ाई अभी तक अंग्रेजी में हुआ करती थी। वहीं इस बार अंग्रेजी से हटकर हिंदी में भी एमबीबीएस की पढ़ाई की जाएगी।

एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर ….

मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां हिंदी में एमबीबीएस की शुरुआत होने जा रही है।इस को लेकर गृह मंत्री अमित शाह भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में विद्यार्थियों को संबोधित करेंगे।

मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मौजूदा सत्र से ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एनाटॉमी फिजियोलॉजी और बॉयो केमिस्ट्री की पढ़ाई कराई जाएगी।

अगले सत्र में से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष में इसे भी लागू किया जाएगा। वहीं विद्यार्थियों को अभी तक पुस्तकें एमबीबीएस की अंग्रेजी में उपलब्ध हुआ करती थी। लेकिन अब एमबीबीएस की पुस्तक हिंदी में उपलब्ध होगी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हिंदी में पढ़ाने वाले पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया है। हिन्दी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का पायलेट प्रोजेक्ट गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) शुरू होगा।

अमित शाह ने अगस्त में अपनी पिछली भोपाल यात्रा के दौरान भी कहा था कि अंग्रेजी भाषा के प्रति भारत के आकर्षण ने देश की 95% प्रतिभाओं को इसकी प्रगति में योगदान करने से रोक दिया है।

राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि “चिकित्सा जैव रसायन, चिकित्सा शरीर क्रिया विज्ञान और शरीर रचना विज्ञान पर पुस्तकों के अनुवादित संस्करण, पिछले आठ से नौ महीनों में 97 डॉक्टरों की एक समिति द्वारा तैयार किए गए हैं।”

संवैधानिक प्रावधान …

14 सितम्बर 1949 को संवैधानिक स्तर पर भारत संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी को मान्यता प्राप्त हुई थी।

अनुच्छेद 343 में कहा गया था कि “संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी और अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा। शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग 15 वर्ष की अवधि तक किया जाता रहेगा।”

इस संबंध में 1955 में राजभाषा आयोग बना।हिंदी को राजभाषा के रूप में पूर्णत: स्थापित करने की प्रक्रिया में आयोग द्वारा तेरह सुझाव दिए गये। जिन पर सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं लिया गया।1965 से पूर्व 1963 में राजभाषा अधिनियम आता है. जो पुन: 1967 में संशोधित होता है।

इस अधिनियम के अंतर्गत 1965 तक हिंदी को पूर्णत: राजभाषा के रूप में स्थापित कराने के आश्वासन को पुन: अनिश्चित समय तक बढ़ा दिया जाता है।

शिक्षा नीति में हिंदी का महत्व ….

भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 लागू की है। जो राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है। नई शिक्षा नीति 2020 में भाषा के संबंध में उत्पन्न उन सभी सवालों को समझा व नई शिक्षा नीति का हिस्सा बनाया गया है।

इस नीति के अंतर्गत भी राजभाषा आयोग 1955 की सिफारिशों में से एक भारतीय भाषाओं के ज्ञान और सीखने की सिफारिश को शामिल किया गया है। जबकि इससे पूर्व 1968 में कोठारी आयोग (1964-66) जिसे भारतीय शिक्षा के इतिहास में पहला कदम कहा जाता है, वह शिक्षा को राष्ट्रीय महत्व का विषय घोषित करता है।

नई शिक्षा नीति-2020 में स्पष्ट रूप से शिक्षण माध्यम के रूप में भाषा के सवाल को मुख्य रूप से उठाया गया है। जिसके लिए एक उप-अध्याय ‘बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति’ शीर्षक रखा गया है।

भारत सरकार द्वारा शिक्षा माध्यम के रूप में भाषा की शक्ति को पहचानते हुए विभिन्न प्रावधान व सुझाव इस शिक्षा नीति में किए गए हैं। इसमें कहा गया कि ” छोटे बच्चे अपनी घर की भाषा/ मातृ भाषा में सार्थक अवधारणाओं को अधिक तेजी से सीखते हैं और समझ लेते हैं। घर की भाषा आमतौर पर मातृभाषा या स्थानीय समुदायों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।

ऐसे में जहाँ तक संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक लेकिन बेहतर यह होगा कि यह ग्रेड 8 और उससे आगे तक भी हो, शिक्षा का माध्यम, घर की भाषा या मातृ भाषा होगी।