शुभंकर ‘जागृति’


चर्चा में क्यों ?

हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक शुभंकर ‘जागृति’ को लॉन्च किया

मुख्य बिंदु :-

  • उपभोक्ता मामलों के विभाग (DOCA) ने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक शुभंकर “जागृति” को लॉन्च किया है।
  • जागृति को एक सशक्त उपभोक्ता के रूप में पेश किया जाएगा जो उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाएगी और उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान करेगी।
  • “जागृति” शुभंकर का उपयोग इस विभाग के विभिन्न विषयों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने के लिए किया जाएगा। जैसे कि ये विषय हैं – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधान, हॉलमार्किंग, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 1915, बाट और माप अधिनियम के प्रावधान, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के निर्णय और शिकायत निवारण पर उपभोक्ताओं की टिप्पणियां।
  • जागृति शुभंकर को लाते हुए DOCA का मकसद डिजिटल और मल्टीमीडिया में अपने उपभोक्ता जागरूकता अभियान की मौजूदगी को मजबूत करना है और एक सशक्त व सूचित युवा उपभोक्ता को एक टॉप-ऑफ-माइंड उपभोक्ता अधिकार जागरूकता के रिकॉल ब्रांड के रूप में सुदृढ़ करना है।
  • जागृति शुभंकर को इसके सभी मीडिया अभियानों में “जागो ग्राहक जागो” की टैगलाइन के साथ दिखाया जाएगा। ये दोनों ही जागरूक युवा उपभोक्ताओं के नए पर्याय हैं और उपभोक्ता अधिकारों के ज्ञान और गतिविधियों की ओर ख़ासा ध्यान दिलाते हैं।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के बारे में –

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भारत सरकार द्वारा पारित एक उपभोक्ता संरक्षण कानून है जिसे देश के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एवं उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी रोकने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2019 में पारित किया था।
  • यह अधिनियम 20 जुलाई 2020 से ही प्रभावी हो गया है।इस नए अधिनियम ने पुराने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह ली है। इस नए कानून का पहला ड्राफ्ट 2014 में तैयार किया गया था।
  • पहले यह कानून जनवरी 2020 में लागू होना था परन्तु उसके बाद कोरोना के कारण इसमें ओर विलम्ब हुआ। उपभोक्ता अदालत के अतिरिक्त नए कानून के अंतर्गत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) का भी गठन किया जाएगा।

अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ-

उपभोक्ता की परिभाषा
  • इस अधिनियम के अनुसार उस व्यक्ति को उपभोक्ता कहा जाता है जो वस्तुओं और सेवाओं की खरीद और उपभोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करता है। विशेष बात यह है कि जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं को बेचने के लिए या वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए खरीदता है, उसे उपभोक्ता नहीं माना गया है।
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में CCPA की स्थापना का प्रावधान है जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के साथ साथ उनको बढ़ावा देगा और लागू करेगा। यह प्राधिकरण अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को भी देखेगा।
  • इसके पास उल्लंघनकर्ताओं पर जुर्माना लगाने और बिके हुए माल को वापस लेने या सेवाओं को वापस लेने के आदेश पारित करना, अनुचित व्यापार प्रथाओं को बंद करने और उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई कीमत को वापिस दिलाने का अधिकार भी होगा।
  • इस प्राधिकरण का नेतृत्व महानिदेशक करेंगे।

उपभोक्ताओं के अधिकार

यह अधिनियम उपभोक्ताओं को निम्न अधिकार प्रदान करता है;
  1. वस्तुओं या सेवाओं की मात्रा, गुणवत्ता, शुद्धता, क्षमता, कीमत और मानक के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार
  2. खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार
  3. अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं से संरक्षित रहने का अधिकार
  4. प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं की उपलब्धता
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग

इस अधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (Consumer Disputes Redressal Commission /CDRCs) की स्थापना का प्रावधान है।

CDRC निम्न प्रकार की शिकायतों का निपटारा करेगा-

  1. अधिक मूल्य वसूलना या अस्पष्ट कीमत वसूलना
  2. अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार
  3. जीवन के लिए खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री
  4. दोषपूर्ण वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का अधिकार क्षेत्र

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (CDRCs) ने राष्ट्रीय, राज्य और जिला विवाद निवारण आयोग के अधिकार क्षेत्र को तय कर दिया है।
  • राष्ट्रीय विवाद निवारण आयोग, 10 करोड़ रुपये से अधिक की शिकायतों को सुनेगा जबकि राज्य विवाद निवारण आयोग, उन शिकायतों की सुनवाई करेगा जो कि 1 करोड़ रुपये से अधिक है लेकिन 10 करोड़ रुपये से कम हैं।
  • जिला विवाद निवारण आयोग, उन शिकायतों को सुनेगा जिन मामलों में शिकायत 1 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की है।

Source – PIB