ब्रह्मांड की महान ऊर्जा को खोजता मानव


जब हमारे इस ब्रह्मंड का जन्म भी नही हुआ था तब केवल अनन्त व महान ऊर्जा थी ….

जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘सिंगुलैरिटी’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें अनन्त दबाव, अनन्त धनत्व, अनन्त गुरुत्वाकर्षण था और इस सारी महान व अनन्त ऊर्जा का आकार अनन्त गुना सूक्ष्म था …एक बिन्दु से भी छोटा …

और इसी अनन्त छोटे बिन्दु व महान ऊर्जा में सारा स्पेस, टाइम, ग्रह, तारे, आकाशगंगाएं आदि समाए हुए थे।

फिर 13.8 बिलियन वर्ष पूर्व उस बिन्दु में विस्फोट होता है और ब्रह्मांड का विस्तार आरंभ होता है।

सामान्य तौर पर माना जाता हैं कि हमारे ब्रह्मंड में कोई भी वस्तु प्रकाश की गति से तेज नही चल सकती हैं ..

अर्थात प्रकृति ने ब्रह्मंड में हमारी गति की एक सीमा तय की है जो तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंड हैं। लेकिन जब उस महान ऊर्जा ने अपना विस्तार आरंभ किया था तो वह सारे नियमों को तोड़ कर फैलती है अर्थात वह प्रकाश की गति से भी लाखों गुना तेज विस्तार करता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यह प्रकृति के नियमों का उल्लंघन था लेकिन इस गुत्थी को सुलझाया महान भौतिक वैज्ञानिक एलन गूथ ने जिन्होंने ” Multivers” का भी सिद्धांत दिया है।

उनका कहना है कि “दरसअल ब्रह्मंड के विस्तार के समय किसी नियम का उल्लंघन नही हुआ था। क्योंकि लाइट, स्पेस में तीन लाख किलोमीटर की गति से चलती है लेकिन आरंभ में स्वयं ब्रह्मांड व स्पेस का विस्तार हो रहा था इसके लिए उन्होंने ‘इंफ्लेशनरी यूनिवर्स” का सिद्धांत दिया ।।

यह विस्तार इतना तेज था कि एक सेकेंड के 10÷43 अर्थात सेकंड के 43 वे हिस्से में, हमारा ब्रह्मांड एक बिन्दु से अपने वर्तमान रूप में आ गया।

आज जेम्स वेब टेलिस्कोप के द्वारा पहली बार SMACS 0723 आकाशगंगाओं के एक बड़े समूह या क्लस्टर को देखा गया है। यह हमसे लगभग 4.6 बिलियन प्रकाश वर्षों की दूरी पर है ..

यह अब तक देखी गई सर्वाधिक दूर की गैलेक्सी है । वैज्ञानिकों को विश्वास है कि जल्द ही हम अपने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के आरंभ अर्थात बिग बैंग या 13 बिलियन वर्ष पूर्व तक देख सकेंगे ….

एक तरह से यह टाइम मशीन हैं जो हमारे ब्रह्मंड के अतीत के बारे में बताती है। खगोलशास्त्री इस घटना को “ग्रेविटेशनल लेंसिंग” से देखते हैं।

इसके साथ ही एक मजेदार बात और हैं कि आकाश में हम जिन तारों या आकाशगंगाओं को देखते हैं, उनका प्रकाश हम तक पहुँचने में अरबों वर्ष लग जाते हैं …

इसीलिए यह भी हो सकता है कि जिन तारों या आकाशगंगाओं को हम आज देख रहे हैं वो अरबों वर्ष पहले ही नष्ट हो गई हो और हम आज उनका अतीत देख रहे हैं।

इसके साथ ही इस जेम्स वेब टेलिस्कोप के माध्य्म से यह बात पुनः प्रमाणित हुई है कि हमारा ब्रह्मंड लगातार फैल रहा है और आकाशगंगाये व सभी तत्व एक दूसरे से दूर जा रहे हैं ।

अर्थात हमारे ब्रह्मंड का अंत “बिग फ्रीज” या “बिंग रिप” के द्वारा होगा न कि “बिग क्रंच” से, जिसका मतलब है कि एक समय ऐसा आएगा जब हमारे इस ब्रह्मंड का पुर्जा पुर्जा उखड़ जाएगा । एटम के परमाणु भी टूट कर खत्म हो जाएंगे …

और इसके पीछे कार्य करने वाले दो शक्तिशाली दानव हैं एक है ” डार्क मैटर”, और दूसरा है ” डार्क एनर्जी” जिनमे लगातार जंग चल रही हैं ।

एक चीजों जो जोड़ता है तो दूसरा उन्हें दूर हटाता है ।। हमारा भविष्य इन्हीं की जंग पर निर्भर है …

लेकिन क्या इस ब्रह्मंड के अंत के बाद सब कुछ खत्म हो जाएगा? पुनः महान ऊर्जा बचेगी ??

तो इसका जवाब हैं कि अब वैज्ञानिकों के द्वारा एक बार बिगबैंग की थ्योरी को नकार दिया गया है और मल्टीपल बिगबैंग व मल्टीवर्स की थ्योरी दी गई है।

अतः आज मानव ने ब्रह्मंड के नए द्वार को खोला है और वैज्ञानिकों का अंतिम उद्देश्य हमारी उत्पत्ति के बारे में जानने के साथ ही अनन्त ब्रम्हांडों तक पहुँचना है ….

फिजिक्स और एस्ट्रोफिजिक्स इतना अद्भुत विषय है कि मेरी कल्पनाओं को पंख लग जाते हैं और मैं इसके बारे में लिखते हुए खो जाता है। अतः यदि कोई बात कठिन हो गई हो तो माफ़ करिए 😊😊❤️❤️

Dhruv Kumar