अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस


चर्चा में क्यों ?

हर साल 23 सितंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day of Sign Languages -IDSL) मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु :-

  • यह दिन सांकेतिक भाषाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सांकेतिक भाषाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है।
  • भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के तत्वावधान में भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी), नई दिल्ली 23 सितंबर, 2022 सांकेतिक भाषा दिवस-2022 मना रहा है। यह कार्यक्रम सी.डी. देशमुख ऑडिटोरियम, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी), नई दिल्ली मे आयोजित होगा।
  • ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत सांकेतिक भाषा दिवस-2022 मनाने के लिए कार्य योजना के अनुसार लगभग 3,200 संगठनों/संस्थानों को शामिल किया गया है। बड़े पैमाने पर सांकेतिक भाषा दिवस समारोह का उद्देश्य आम जनता को भारतीय सांकेतिक भाषाओं के महत्व और सुनने में अक्षम व्यक्तियों के लिए सूचना और संचार सुलभता के बारे में जागरूक करना है।
  • सांकेतिक भाषा न केवल लोगों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि सुनने में अक्षम व्यक्तियों के लिए रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण के सृजन में भी महत्वपूर्ण है।
  • इस वर्ष सांकेतिक भाषा दिवस-2022 का विषय “साइन लैंग्वेज यूनाइट अस” है। डब्ल्यूएफडी के अनुसार, इस दिन, हम एक साथ बधिर लोगों के लिए एक आवश्यक मानव अधिकार के रूप में सांकेतिक भाषाओं के समर्थन की घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं, और मानव अधिकारों के लिए हस्ताक्षर करते हैं! इस दिन, दुनिया भर में विभिन्न राष्ट्रीय सांकेतिक भाषाओं को पहचानने और बढ़ावा देने के लिए बधिर समुदायों, सरकारों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयास किए जाते हैं।
  • वहीं 2021 के अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का विषय “हम मानवाधिकारों के लिए हस्ताक्षर करते हैं (We Sign For Human Rights)” था ।

पृष्ठभूमि –

  • वर्ष 1951 में 23 सितंबर को विश्व फेडरेशन ऑफ डेफ (World Federation of the Deaf) की स्थापना की गई थी, जो जो बधिर लोगों के 135 राष्ट्रीय संघों का एक संघ है, जो दुनिया भर में लगभग 70 मिलियन बधिर लोगों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने काम करता है।
  • इसी कारण 23 सितंबर को सांकेतिक भाषा दिवस मनाने के रूप में चुना गया l
  • बधिरों का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह पहली बार सितंबर 1958 में मनाया गया था और तब से यह बधिर एकता के एक वैश्विक आंदोलन के रूप में विकसित हो गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पहली बार 2018 में अंतरराष्ट्रीय बधिरता सप्ताह के भाग के रूप में मनाया गया। यह दिन मनाने का उद्देश्य बधिर लोगों को उनके जीवन में आने वाले रोजमर्रा के मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

क्या होती है सांकेतिक भाषाएं?

  • सांकेतिक भाषा शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से संचार का एक माध्यम है, मुख्य रूप से हाथों की। इसका उपयोग तब किया जाता है जब बोली जाने वाली संचार संभव नहीं है या वांछनीय नहीं है।
  • या हम कह सकते हैं कि वे पूरी तरह से प्राकृतिक भाषाएं हैं, जो संरचनात्मक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं से अलग हैं। बधिर लोगों के लिए, एक अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा भी है, जिसका उपयोग वे अंतरराष्ट्रीय बैठकों में और अनौपचारिक रूप से यात्रा और सामाजिककरण के माध्यम से करते हैं। यह प्राकृतिक सांकेतिक भाषा की तरह जटिल नहीं है और इसका एक सीमित शब्दकोष है।
  • सांकेतिक भाषाओं के उपयोग को विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन (CRPD) द्वारा मान्यता दी गई है और बढ़ावा दिया गया हैl  यानी सांकेतिक भाषा बोली जाने वाली भाषा के बराबर है और राज्यों को सांकेतिक भाषा सीखने की सुविधा प्रदान करने और बधिर समुदाय की भाषाई पहचान को बढ़ावा देने के लिए बाध्य करती है।
  • वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ के अनुसार पूरे विश्व में 70 मिलियन से अधिक लोग कर्णबधिर हैंl इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा लोग विकासशील देश में कर्णबधिर है l तकरीबन 300 अलग-अलग तरह की सांकेतिक भाषा बोली जाती है l

भारत में सांकेतिक भाषा –

  • जब से संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में घोषित किया है, भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) ने इस दिवस को हर साल मनाया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनता को भारतीय सांकेतिक भाषाओं और सुनने में अक्षम रहने वाले व्यक्तियों की सूचना और संचार तक पहुंच के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
  • सांकेतिक भाषा न केवल लोगों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह सुनने में रहने वाले अक्षम व्यक्तियों के लिए रोजगार के सृजन और व्यावसायिक प्रशिक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
  • ISLRTC ने पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय सांकेतिक भाषा (डिजिटल प्रारूप) में रूपांतरण कराने के उद्देश्य से 6 अक्टूबर, 2020 को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे ताकि इन पाठ्यपुस्तकों को सुनने में अक्षम रहने वाले बच्चों के लिए सुलभ बनाया जा सके। पहली कक्षा से लेकर पांचवीं कक्षा तक की पाठ्यपुस्तकों के रूपांतरण की इस परियोजना का पहला चरण पूरा हो चुका है और इस कार्यक्रम के दौरान इन पाठ्यपुस्तकों की ई-सामग्री का शुभारंभ किया जाएगा।
  • यदि भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोष की बात की जाये तो इस शब्दकोष को भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसन्धान व प्रशिक्षण केंद्र द्वारा तैयार किया गया है, यह केंद्र सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • इस शब्दकोष में शैक्षणिक, कानूनी, मेडिकल, तकनीकी तथा दैनिक उपयोग के लगभग 6000 शब्द शामिल हैं। इस शब्दकोष के पहले संस्करण में केवल 3000 शब्द ही थे।
  • इस शब्दकोष को मूक-बधिर लोगों के सहयोग से तैयार किया गया है।
  • यह डिक्शनरी भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसन्धान व प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) के यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है।
  • यह शब्दकोष सांकेतिक भाषा अध्यापकों, छात्रों तथा मूक-बधिर बच्चों के माता-पिता के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी।
  • इस शब्दकोष को तैयार करने के लिए मूक-बधिर लोगों के सुझाव तथा प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन भी किया गया था।

Source – PIB