भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022


चर्चा में क्यों

हाल ही में दूरसंचार विभाग (DoT) ने इंटरनेट आधारित दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिये भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022 जारी किया।

प्रमुख बिन्दु

इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा दूरसंचार कानूनों और विनियमों में सुधार करना और उन्हें ‘भविष्य के लिए तैयार’ करना है ।

प्रमुख नीतिगत हस्तक्षेपों और तकनीकी प्रगति ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार बना दिया है।

यह क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे अधिक योगदानकर्ताओं में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने इस क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति दी है, बड़े पैमाने पर बीपीओ और कॉल सेंटर, इन-फ्लाइट वाई-फाई को सक्षम किया है, और दूरसंचार ऑपरेटरों से उनकी तनावपूर्ण वित्तीय स्थितियों के कारण आस्थगित भुगतान की अनुमति दी है।

इसीलिए दूरसंचार विभाग ने भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा जारी किया है जिसका उद्देश्य मौजूदा दूरसंचार कानूनों और विनियमों में सुधार करना और उन्हें “भविष्य के लिए तैयार” बनाना है।

आवश्यकता

मसौदा विधेयक तीन अलग-अलग अधिनियमों को समेकित करता है जो वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं जिसमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम, 1950 शामिल हैं।

19वीं शताब्दी के कानून आज अप्रासंगिक हो गए हैं।

इसके अलावा दो कारण है । पहला, दूरसंचार सेवा का वितरण (अपने आप में एक गतिशील अवधारणा) संप्रभु का “अनन्य विशेषाधिकार” है।

दूसरा,आज सरकार संप्रभु विशेषाधिकार निजी कंपनियों को प्रत्यायोजित करती है क्योंकि संचार केंद्र का विषय है।

सरकार निजी कंपनियों को दूरसंचार लाइसेंस देकर और उन पर नियम और शर्तें लगाकर यह विशेषाधिकार देती है।

अतः वर्तमान में नए नियमों की आवश्यकता है, ये नियम और शर्तें डेटा के स्थानीयकरण, लाइसेंस शुल्क के रूप में राजस्व साझाकरण, विदेशी अधिकारियों की सुरक्षा जांच, प्रौद्योगिकियों और उपकरणों की तैनाती पर नियमन करती है। आज नए नियमों की आवश्यकता है।

ट्राई की शक्ति में कमी

दूरसंचार विभाग ने सेवा प्रदाताओं को नए लाइसेंस जारी करने पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI/ट्राई) की कुछ महत्त्त्वपूर्ण शक्तियों और ज़िम्मेदारियों को कम करने का भी प्रस्ताव दिया है।

OTT विनियमन

सरकार ने इंटरनेट आधारित और OTT संचार सेवाओं जैसे- व्हाट्सएप कॉल, फेसटाइम, गूगल मीट आदि को दूरसंचार सेवाओं के तहत शामिल किया है।

यह मांग एक समान अवसर प्रदान करने के लिये दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी। फिलहाल जहाँ टेलीकॉम कंपनियों को सेवाएँ देने के लिये लाइसेंस की ज़रूरत होती है, जबकि OTT प्लेटफॉर्म को नहीं।

इसके अलावा OTT को दूरसंचार सेवाओं के दायरे में लाने का मतलब है कि OTT और इंटरनेट आधारित संचार सेवाएँ प्रदान करने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता होगी।

दूरसंचार मंत्रालय ने किसी दूरसंचार या इंटरनेट प्रदाता द्वारा अपना लाइसेंस सरेंडर करने की स्थिति में शुल्क वापसी का प्रावधान प्रस्तावित किया है।

लाइसेंसधारियों द्वारा भुगतान में चूक

भुगतान में चूक की स्थिति और असाधारण परिस्थितियों में वित्तीय, उपभोक्ता ब्याज़, क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बनाए रखने या विश्वसनीयता एवं दूरसंचार सेवाओं की निरंतर पूर्ति सहित सरकार ऐसी राशियों के भुगतान को स्थगित कर सकती है अथवा एक हिस्से या सभी देय राशियों को शेयरों में परिवर्तित कर सकती है, देय राशियों को बट्टे खाते में डाल सकती है या भुगतान से राहत प्रदान कर सकती है।

दिवाला मामले में

दिवालिया होने की स्थिति में इकाई को सौंपा गया स्पेक्ट्रम सरकारी नियंत्रण में वापस आ जाता है तथा केंद्र सरकार इस तरह के लाइसेंसधारी को स्पेक्ट्रम का उपयोग जारी रखने की अनुमति देने सहित कोई और निर्धारित कार्रवाई कर सकती है।

दूरसंचार विकास कोष

यह यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) का नाम बदलकर दूरसंचार विकास कोष (TDF) करने का प्रस्ताव करता है।

USOF की प्राप्ति दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के वार्षिक राजस्व से होती है। TDF के लिये प्राप्त राशि को सबसे पहले भारत की संचित निधि में जमा किया जाएगा।

इस कोष का उपयोग ग्रामीण, दूरस्थ और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिये किया जाएगा। यह नई दूरसंचार सेवाओं के अनुसंधान और विकास, कौशल विकास एवं नई दूरसंचार सेवाओं की शुरुआत का समर्थन करने में भी सहायता करेगा।

भारत में दूरसंचार उद्योग

भारत में दूरसंचार उद्योग वर्ष 2022 तक 1.17 बिलियन ग्राहकों के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है।

FDI प्रवाह के मामले में दूरसंचार क्षेत्र तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल FDI प्रवाह का 6.44% योगदान देता है और प्रत्यक्ष रूप से 2.2 मिलियन रोज़गार एवं अप्रत्यक्ष रूप से 1.8 मिलियन रोज़गार में योगदान देता है।

वर्ष 2014 से 2021 के बीच दूरसंचार क्षेत्र में FDI प्रवाह 150% बढ़कर 20.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो वर्ष 2002-2014 के दौरान 8.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

टेलीकॉम सेक्टर में अब ऑटोमैटिक रूट के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे दी गई है।

वर्ष 2025 तक 920 मिलियन मोबाइल ग्राहक होने की उम्मीद है जिसमें 88 मिलियन 5G कनेक्शन शामिल होंगे।