मैं चीजों को पूरी तरह से वैज्ञानिक नजरिए से देखता हूँ- बिबेक देबराय


मैं चीजों को पूरी तरह से वैज्ञानिक नजरिए से देखता हूँ।पूजा पाठ में ज्यादा मन नही लगता है बल्कि धर्म के दर्शन और विज्ञान को जानने में अच्छा लगता है।

एक समय तो ऐसा भी था कि लगभग नास्तिक था। इनमें tv वाले कथावाचकों का विशेष योगदान था क्योंकि ये आधा को राधा बना देते हैं।

ये लोग धर्म के दार्शनिक और विज्ञान पक्ष को खत्म करके उसे केवल मजाक और मनोरंजन का विषय बना देते हैं। वास्तव में इनकी वजह से ही चिढ़ हो गई थी।

लेकिन एक बार मैं कुछ सर्च कर रहा था तभी मुझे बिबेक देबरॉय सर का एक लेक्चर मिला जो उन्होंने एक लिटरेचर फेस्टिवल में दिया में दिया था। उस टॉपिक का नाम था … “The relevance of Mahabharat…”

इस लेक्चर को सुनकर मुझे बहुत अलग अनुभव हुआ। लगा कि महाभारत की परम्परा कहानियों के महत्व को बिल्कुल अलग से कोई बता रहा है।

इसके बाद धीरे धीरे मैं सर के कई लेक्चर सुनता रहा, उनके आर्टिक्ल खोज खोज कर पढे। हिन्दू धर्म की बिल्कुल अलग और वैज्ञानिक व्याख्या सुनकर और पढ़कर अत्यंत अच्छा लगने लगा।

इसके बाद मैने महाभारत को एक बार फिर से पढ़ा साथ ही बिबेक देबरॉय सर ने महाभारत के क्रिटिकल एडिशन का अनुवाद किया है। उसे भी कुछ पढा। इसके बाद मेरा सोचने का तरीका बदल गया।

बिबेक देबरॉय सर इस समय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन हैं। अर्थव्यवस्था पर तो उनकी अद्भुत पकड़ हैं ही साथ ही भारतीय संस्कृति, रामायण, महाभारत पर भी महारत हैं। मुझे नही लगता है । संस्कृत और भारतीय संस्कृति का जितना ज्ञान सर के पास है । उतना करोड़ो कमाने वाले कथावाचकों के पास है।

बिबेक देबरॉय सर ने भंडारकर रिसर्च इंस्टिट्यूट के द्वारा पचास साल मेहनत करके जिस महाभारत और रामायण के क्रिटिकल एडिशन को तैयार किया गया है। उसका इंग्लिश में अनुवाद किया है।

महाभारत के इस एडिशन में केवल अस्सी हजार श्लोक हैं। इस महाभारत और बाल्मीकि रामायण में आपको कुछ नई बातें मिलेगी। इसके अलावा सर ने कई पुराणों का भी अनुवाद किया है।

एक बार सर ने शशि थरूर को हिंदुत्व के मुद्दे पर घेर लिया था। बोलती बंद कर दी थी।

बिबेक सर केवल कहानी नही बताते हैं बल्कि उसके पीछे का दर्शन बताते हैं। महाभारत रामायण की टैक्सेशन व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, गवर्नेंस किस तरह से काम करती थी, वहां की महिलाओं की किस तरह से स्थिति थीं। यह भी बताते हैं।

उन्ही को सुनकर मैने पहली बार अनुभव किया था कि महाभारत में वर्णित सावित्री जिन्हें हम अत्यंत कमजोर और सीधी महिला मानते हैं। वह वास्तव में गलत अवधारणा हैं क्योंकि सावित्री अत्यंत शसक्त महिला थीं।

रथ पर सवार होकर हथियारों के साथ वन जाती हैं और स्वयं अपने पति का चयन करती है। इसके अलावा यमराज से भी लड़ जाती हैं। वह महिला कमजोर कैसे हो सकती है। इसी प्रकार कई वर्णन है।

आज मैं ईश्वर को मानता हूं लेकिन अलग तरीके से, क्योंकि मेरे लिए ईश्वर पूरी तरह से विज्ञान है।

मुझे दबाव बिल्कुल पसंद नही है। मैं चीजों को समझना चाहता हूं, उनके पीछे के दर्शन और विज्ञान को जानना चाहता हूं। क्योंकि मुझे लगता है कि मैं कुछ नहीं जानता हूँ।

आज मैं भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को जानने के लिए जिन चुनिंदा लोगों को फॉलो करता हूँ। उनमें बिबेक देबरॉय सर प्रथम हैं।

आज हमें ऐसे ही स्कालर की जरूरत हैं जो आधुनिक पीढ़ी को धर्म के पीछे के मर्म और विज्ञान को समझा सकें। आज TV वाले तथाकथित कथावाचकों और दद्दाओ से मुझे शख्त नफरत है जो अपनी बात को कुतर्क करके थोपते हैं।

आज मैं इसलिए यह लिख रहा हूँ कि इस समय संसद TV पर बिबेक सर इतिहास नामक शानदार प्रोग्राम होस्ट करते हैं। जल्द ही सनौली के ऊपर उनका प्रोग्राम आने वाला है।

Bibek Debroy सर

लेखक – ध्रुव कुमार