मैं उत्तर प्रदेश बोल रहा हूँ!


मैं उत्तर प्रदेश बोल रहा हूँ!

लोग मुझे हमेशा सुनाते है और मैं धैर्यपूर्वक उन्हें सुनता हूँ. आज मैं अपनी सुनाने आया हूँ.

मेरी पहचान मिटाने वाले आक्रांताओं की मार झेलने वाला युद्धवीर हूँ मैं!

काशी-वृंदावन-अयोध्या-प्रयागराज हूँ मैं!

गंगा-यमुना-सरस्वती त्रिवेणी का संगम हूँ मैं!

बनारस का पान हूँ मैं, प्रयागराज का गंगाजल हूँ और कानपुर का हलुक अंदाज में कहा गया कटाक्ष हूँ मै!

पूरे भारत को दिया गया श्रम अधिशेष हूँ मैं!

‘राजनीति जहां परनाले से बहती है’ जैसे जुमले भले फेंक लो मुझ पर मगर आठ प्रधानमंत्री देने वाला राज्य हूँ मैं!

आजादी के परवानों का ख्वाबगाह हूँ मैं और उनके पुण्य कर्मों का इकलौता गवाह हूँ मैं!

प्रतिवर्ष की विजयदशमी हूँ मैं तो बारह बरस में आने वाला महाकुंभ भी हूँ मैं!

माँ के वात्सल्य पर युगबोधी काव्य विरचने वाला सूरदास हूँ मैं और मानस को रामचरितमानस देने वाला तुलसीदास हूँ मैं!

इक्कीसवीं सदी के नवभारत हेतु भारी भरकम और स्पष्ट बहुमत देने वाला राज्य हूँ मैं!

रामराज्य की अवधारणा से विश्वजगत को परिचित कराने वाला महाराजधिराज हूँ मैं!

उत्तर प्रदेश को संस्थागत राज्य इकाई के तौर पर स्थापना दिवस की शुभकामनाएं.

लेखक: संकर्षण शुक्ला