गुवाहाटी में विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन


चर्चा में क्यों ?

हाल ही में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सहयोग से एक जिला एक उत्पाद पहल के अंतर्गत गुवाहाटी में विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया।  

मुख्य बिंदु :-

  • स्थाई व्यापार को बढ़ावा देने तथा बाजार सम्पर्क बनाने के विज़न के साथ उद्योग तथा आंतरिक संवर्धन विभाग (DPIIT) की एक जिला एक उत्पाद पहल के अंतर्गत एक विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  • यह आयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय तथा पूर्वोत्तर हस्तशिल्प और हस्तकरघा विकास निगम (NEHHDC) तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (NERAMAC) के सहयोग से किया गया।
  • इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों के कृषि उत्पादों पर फोकस किया गया और इसमें अनेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों की उपस्थिति देखी गई।
  • गुवाहाटी में पूर्वोत्तर राज्यों-असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम- के विभिन्न जिलों के 70 से अधिक विक्रेताओं, व्यापारियों, किसानों और समूहकर्ताओं ने अपने उत्पाद दिखाए।
  • इन उत्पादों में मेघालय की विश्व प्रसिद्ध 7 प्रतिशत से अधिक करक्यूमिन युक्त लकाडोंग हल्दी, सिक्किम का जीआई टैग वाली बड़ी इलायची, त्रिपुरा की क्वीन अनन्नास, पारम्परिक असम चाय, मणिपुर का काला चाखो चावल शामिल हैं। इन उत्पादों को रिलांयस तथा ITC और उभरते स्टार्ट अप जैसे 30 बड़े खरीददारों को दिखाया गया।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों/उत्पादों की सहायता के लिए स्थापित NERAMAC किसानों तथा बड़े बाजार के बीच खाई पाटने की दिशा में काम करता रहा है। इस तरह ODOP पहल के सहयोग से क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • संयुक्त प्रयासों के माध्यम से क्षेत्र के श्रेष्ठ उत्पादों का मिलान बड़े ब्रांडों से किया जा रहा है, ताकि किसानों की आय की संभावना को बढ़ाया जा सके। क्रेताओं-विक्रेताओं तथा आठ पूर्वोत्तर राज्यों की राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच फोकस रूप में व्यापार चर्चा भी हुई। इसके अतिरिक्त इस आयोजन में 6 करोड़ रुपये के आशय पत्रों (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए।
  • उल्लेखनीय है की क्रेता-विक्रेता बैठक आत्मनिर्भर भारत के विज़न का प्रत्यक्ष परिणाम है। DPIIT अपनी एक जिला एक उत्पाद पहल के अंतर्गत ऐसे संपर्क को स्थायी रूप से बनाने का काम किसानों की बढ़ती आय पर फोकस के साथ काम कर रहा है।
  • कृषि, कपड़ा, हस्तशिल्प तथा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों के 700 से अधिक उत्पादों के साथ ODOP पहल का उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले के एक उत्पाद का चयन, ब्रांडिंग और संवर्धन है। यह व्यापार को प्रोत्साहित करने तथा सुविधा के बड़े उद्देश्य के लिए समन्वय सहयोग नेटवर्क बनाने और खरीददारों-विक्रेताओं के सहयोग को सक्षम करने की भूमिका से चिन्हित है।

लाकडोंग हल्दी के बारे में –

  • लाकाडोंग हल्दी की खेती विशेष रूप से मेघालय में की जाती है।
  • लाकाडोंग हल्दी की खेती अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु,  प्रचुर मात्रा में बारिश, भौगोलिक परिदृश्य, मिट्टी की गुणवत्ता में की जाती है.
  • लकडोंग हल्दी में 7 से 12% करक्यूमिन सामग्री साबित होती है, जबकि जेनेरिक हल्दी में 2 से 3% करक्यूमिन सामग्री होती है. उच्च करक्यूमिन सामग्री को देखते हुए, लकडोंग हल्दी के स्वास्थ्य-सहायक और पाक-बढ़ाने वाले गुण बहुत अधिक हैं.
  • उत्तर पूर्व भारत के लोग इसे एक चमत्कारी मसाला भी कहते हैं, क्योंकि इसकी व्यापक लोकप्रियता और पीढ़ियों से इसका उपयोग होता है. यह प्रामाणिकता, ताजगी और सुगंध की वजह से दुनियाभर में लोकप्रिय है.

Source – PIB