क्रिप्टोकरेंसी: एक सट्टेबाजी है या भविष्य की मुद्रा


क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आरबीआइ के विचारों में में कोई बदलाव नहीं आया है। RBI के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास का कहना है कि “क्रिप्टोकरेंसी एक साफ तौर पर दिखने वाला खतरा है।”

30 जून को जारी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में जारी की। RBI गवर्नर ने यह भी संकेत दिया है कि “इससे उत्पन्न खतरे से देश के वित्तीय सेक्टर को बचाने के लिए आरबीआइ उचित कदम भी उठाएगा।” आरबीआइ के द्वारा दिया गया यह विचार कोई नया नहीं है लेकिन इस रिपोर्ट में उसने पहली बार अपनी बातों को ठोस तरीके से रखती है।

माना जा रहा है कि हाल के हफ्तों में दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी के भाव में जिस तरह से गिरावट देखी गई है, उसकी वजह से भी आरबीआइ अब ज्यादा सतर्क होगा। आरबीआइ गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में कहा है कि “यह एक सट्टेबाजी है जिसका कोई आधार नहीं है और जो सिर्फ अनुमान के आधार पर एक बढ़िया नाम रखकर प्रचारित किया जा रहा है।”

रिपोर्ट में आरबीआइ ने कहा है कि “क्रिप्टोकरेंसी को एक करेंसी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि इसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है और यब ना तो वित्तीय परिसंपत्तियां हैं और ना ही ऋण प्रपत्र हैं। अतः यह कई तरह के जोखिम को जन्म दे सकता है। पूर्व में भी जब निजी तौर पर करेंसी चलाने की कोशिश की गई है तो उसके काफी खराब परिणाम देखने को मिले हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि क्रिप्टोकरेंसी की वजह से मौजूदा वित्तीय ढांचे को सेंध लग सकती है। यह कई विकासशील देशों के लिए उनकी संप्रभु मौद्रिक नीति के लिए चुनौती बनने का खतरा है।”

भारत मे क्रिप्टोकरेंसी का कैसा होगा भविष्य?

“हमारी सरकार के द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाकर यह सुनिश्चित किया गया है कि इसका मनी लांड्रिंग आतंकवाद या किसी अवैध कार्य में दुरप्रयोग न हो .. हमारा उद्देश्य क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मान्यता देना नही है।’ ये बातें निर्मला सीतारमण ने आईएमएफ के एक आयोजन के दौरान कही।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी डिजिटल करेंसी है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर काम करती है। यह एक ऐसी करेंसी है जिसका किसी संस्था द्वारा कोई रेगुलेशन नहीं किया जाता। जिस प्रकार रुपए का रेगुलेटर और गारंटर आरबीआई है उस प्रकार क्रिप्टोकरेंसी का कोई भी रेगुलेटर नहीं होता।

दुनिया में सबसे पहले बिटकॉइन नामक क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी ये साल 2009 में प्रचलन में आई थी। कहा जाता है कि इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था लेकिन इसकी पहचान ही संदिग्ध है।

मौजूदा समय में 1500 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी बाजार में उपलब्ध हैं, जो पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में काम करती हैं।

पियर-टू-पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का मतलब ये हुआ कि आपको लेनदेन के दौरान किसी भी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरल शब्दों में कहें तो जब हम किसी को पैसा ट्रांसफर करते हैं तब उसमें हमें बैंक की जरूरत पड़ती है। लेकिन क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन करने के लिए हमें किसी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती है।

क्रिप्टो करेंसी की कीमत मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर तय होती है यानी जब उसकी मांग ज्यादा होगी और आपूर्ति कम होगी तो इसकी कीमत भी ज्यादा होगी लेकिन अगर मांग कम हुई और आपूर्ति ज्यादा हो गई तो उसकी कीमत भी कम हो जाएगी .. लेकिन देखा गया है कि क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य अत्यंत अत्यंत तेजी से बढ़ता है।।

क्या फायदे हैं क्रिप्टोकरेंसी के?

क्रिप्टोकरंसी के अभी तक के रिकॉर्ड को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। इसके पीछे वजह यह है कि इसकी कीमतों में तेजी से उछाल आता है। अर्थात निवेश के लिहाज़ से यह एक अच्छा प्लेटफॉर्म है

चूँकि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है ऐसे में, इसमें धोखाधड़ी की गुंजाइश बहुत कम रह जाती है।ज़्यादातर क्रिप्टो करेंसी के वॉलेट उपलब्ध हैं जिसके चलते ऑनलाइन खरीददारी और पैसे का लेन-देन काफ़ी आसान हो चुका है।क्रिप्टोकरेंसी की मूल्य कोई अथॉरिटी या संस्था तय नहीं करती। इसकी कीमत पूरी तरह मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। इसके चलते अवमूल्यन जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

सुरक्षा के लिहाज से क्रिप्टोकरेंसी काफी अहम है। क्योंकि इसका लेनदेन ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होता है जिसके एक्सेस के लिए आपको ऑथेंटिकेशन की जरूरत पड़ती है। क्रिप्टो करेंसी के सिस्टम को हैक करना काफी मुश्किल है ।

क्रिप्टोकरेंसी के साथ दिक्कत क्या है?

वैसे तो कुछ देशों में क्रिप्टो करेंसी को सरकारी मान्यता प्राप्त हो गई है लेकिन ज्यादातर देश ऐसे हैं जहां क्रिप्टो करेंसी वैध नहीं मानी जाती और भारत भी उनमें से एक है। साथ ही कुछ देशों ने इसे ‘ग्रे जोन’ में रखा है, यानी वहां पर ना तो इसे कानूनी तौर पर बैन किया गया है और ना ही इसके उपयोग को सरकारी मान्यता दी गई है।इस करेंसी के साथ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अगर कोई गड़बड़ी हुई तो आप कहीं शिकायत नहीं कर सकते। क्योंकि इस करेंसी का कोई रेगुलेटर नहीं है।साथ ही इसका कोई भौतिक अस्तित्व ही नहीं है, क्योंकि इसकी छपाई नहीं की जा सकती।

इसको कंट्रोल करने के लिए कोई देश, सरकार या संस्था नहीं है जिससे इसकी कीमतों में काफी अस्थिरता बनी होती है। कभी इसकी कीमतों में बहुत अधिक उछाल देखने को मिलता है तो कभी बहुत ज्यादा गिरावट, जिसकी वजह से क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना काफी जोखिम भरा सौदा है।इसका उपयोग तमाम प्रकार के गैरकानूनी कामों मसलन हथियार की खरीद-फरोख्त, ड्रग्स सप्लाई, कालाबाजारी आदि में आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दो लोगों के बीच ही किया जाता है। लिहाजा, यह काफी खतरनाक भी हो सकता है।इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजैक्शन आपसे गलती से हो जाय तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं, जिससे आपको घाटा होता है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का क़ानूनी पहलू

किसी भी देश में मुद्रा या करेंसी जारी करना उस देश की सरकार का संप्रभु अधिकार होता है। यह बात भारत में भी लागू होती है। भारत सरकार की तरफ से मुद्रा जारी करने का अधिकार आरबीआई के पास है। इसके अलावा अगर कोई अन्य संगठन या निजी संस्था किसी भी प्रकार की समानांतर मुद्रा जारी करती है तो यह फर्जी करेंसी छापने जैसा होगा जो कि एक कानूनी अपराध है।

साथ ही क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में गठित अंतर मंत्रालय समूह ने ‘क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019’ को भी लाने की वकालत की है। इस कानून को लाने का मकसद क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाना है। हालांकि इस समूह ने क्रिप्टो करेंसी में इस्तेमाल तकनीक मसलन ब्लॉकचेन और डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी की अपार संभावनाएं बताई है।

भारत सरकार के द्वारा बजट सत्र 2022 में यह घोषणा की गई कि वह क्रिप्टोकरेंसी के डिजिटल लेनदेन पर 30% का टैक्स लगाने जा रही है .. हालांकि उस समय हमारी विदेश मंत्री के द्वारा क्रिप्टोकरेंसी का नाम ना लेकर इसे “वर्चुअल डिजिटल एसेट” कहा गया था ..

साथ ही उंस समय सरकार के द्वारा यह नही कहा गया था कि सरकार के द्वारा डिजिटल करेंसी को वैधानिक मान्यता दी गई है अथवा नही..

निर्मला सीतारमण जी यह स्प्ष्ट कर दिया कि सरकार के द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मान्यता नही दी गई है।।

उन्होंने IMF के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा “यह दुनिया के सभी देशों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। मनी लाउन्डरिंग के साथ ही इसका इस्तेमाल टेरर फाइनेंसिंग के लिए हो रहा है।”

“मेरा मानना है कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल वाला रेगुलेशन ही समस्या का हल है। इसे बहुत ज्यादा सक्षम होना होगा। यह टेक्नोलॉजी के मामले में सबसे आगे होना चाहिए। अगर कोई देश यह सोचता है कि वह चीजों को हैंडल कर सकता है तो उसे सबके साथ मिलकर यह काम करना होगा।”

इसके बाद पिछले कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों में जो असमंजस था वह समाप्त हो गया है।

संकर्षण शुक्ला