रद्द होना बीपीएसी की नियति है


सबसे पहले परीक्षा का विज्ञापन आएगा। विज्ञापन की ब्रांडिंग ऐसे की जाएगी कि बिहार सरकार ही सरकारी नौकरियों की सच्ची पोषक है। बाजार में चर्चाओं की मंडी भी अपने गरम के चरम पर पहुँच जाएगी। दुकानों में भांति-भांति की किताब सजने लगेंगी।

सब आपको डिप्टी कलेक्टर बनाने का दावा करेंगी…बेशक वहाँ पर सीटें सीमित हो… मगर आपको इससे असीमित उम्मीदें हो जाएंगी। बाहरी लोग फॉर्म भरने में कुछ दिन सोचेंगे कि बिहार जाएं या न जाएं? इससे अच्छा अपना स्टेट ही सही है… घर के घर ही रहेंगे। फिर अंतर्मन के कोने से एक जोरदार मोटिवेशन चिग्घाड़ेगा कि बिहार में अनंत-अनुपम नौकरियां आई है इस बार… हो सकता है कि तुम्हारा भी उद्धार इसी भर्ती में बदा हो। अब आप फॉर्म भर दोगे। इसके बाद आप एग्जाम का इंतज़ार करोगे।

बीपीएससी भी इस मामले में बड़ा क्रांतिकारी आयोग है… वो परीक्षा की तारीख की घोषणा भी आवेदन किये जाने के साथ घोषित कर देगा। अभ्यर्थी एकदम जीं-जान से तैयारी में जुट जाएगा। इसी बीच महीने भर बाद खबर आएगी कि आवेदन की तारीख फिर से बढ़ा दी गयी। अब जो लालच आहा लपलप आप के मन मे जगा था, वो कई और लोगों के मन मे जगेगा। इस तरह बीपीएससी में उतने आवेदन पड़ जाएंगे जितने कि इतिहास में कभी न हुए थे।

आहिस्ते-आहिस्ते आयोग की ऐतिहासिकता बढ़ती जाएगी। आयोग के रूतबे का आप इसी से अंदाजा लगाइए कि इसके आवेदन की तारीख में उत्तरोत्तर परिवर्तन किए जाने मुखर्जी नगर में यूपीएससी से अधिक बीपीएससी की किताबों के ढेर दिखाई पड़ने लगते है। आयोग अब एग्जाम की नई तारीख घोषित करता है।

अब अभ्यर्थी और मन लगा के तैयारी करता है कि इस बार जब तक फोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नही। इसी बीच खबर आती है कि एग्जाम की तारीख में दुबारा से फेरबदल किया गया है। वजह बताई जाती है- बिहार के पंचायत चुनाव।

हालांकि वास्तविक वजह इस परीक्षा की ऐतिहासिकता में निहित होती है। दरअसल इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के सेंटर एलॉट करने से लेकर उन्हें मैनेज करने तक का सोच कर भी प्रशासन के पसीने आने लगते है। होते-कराते एग्जाम की नई तिथि की घोषणा फिर से की जाती है।

अभ्यर्थी और खुश होता है कि और ज्यादा समय अब उसको मिल गया है। पटना तक का टिकट सब कटा लेते है मग़र बीपीएससी उनसे प्रैंक करता है और उन्हें बिहार के सुदूर कोनो में फेंक देता है। इसके बाद अभ्यर्थी ट्रेन के रिजर्वेशन में माथापच्ची करता है।

तमाम तरह की माथापच्ची के बाद रिजर्वेशन होता है। इसके बाद अभ्यर्थी जब उस शहर पहुँचता है तो वहाँ होटलों के दाम में ऐसे वृद्धि होती है जैसे होटल नहीं ट्विटर के शेयर हो। हनीमून स्पॉट के होटल भी उतना चार्ज न करते होंगे जितना ये लूटते है।

अब वो शुभ घड़ी आ जाती है जिसका बेसब्री से इंतज़ार होता है। अभ्यर्थी परीक्षा देता है… एग्जाम होने के बाद अपने हिस्से की खुशी और गम मनाता है। अभी वापसी के टिकट की तैयारी चल ही रही होती है कि यूट्यूब पर एक बवंडर फूटता है- एग्जाम के प्रश्नपत्र के लीक होने का।

शुरूआत में इसे झूठ समझा जाता है। फिर जब इसके पुख्ता सुबूत सामने आने लगता है तो अभ्यर्थियों का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुँच जाता है। आयोग 24 घण्टे की मियाद पूरी किये बिना 3 घण्टे में ही परीक्षा रद्द कर देता है। अभ्यर्थी उस दूल्हे सा मुँह लिए वापिस आ जाता है जिसकी दुल्हन ये कह देती है कि उसे फलाने से प्यार है क्योंकि उसके पास रूतबा है, सोर्स है और पैसा है।


संकर्षण शुक्ला