परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत से बैलिस्टिक मिसाइल को किया गया लॉन्च


चर्चा में क्यों?

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने घोषणा की कि स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत ने बंगाल की खाड़ी में “उच्च सटीकता” के साथ एक परमाणु सक्षम पनडुब्बी लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।

प्रमुख बिन्दु

चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत की परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत ने बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।

यह महत्वपूर्ण है कि पिछले 13 सालों में भारत की तरफ से पहली बार इस न्यूक्लियर सबमरीन से लॉन्च की गई किसी मिसाइल के बारे में जानकारी दी गई है।

शुक्रवार को भारत के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि आईएनएस अरिहंत ने 14 अक्टूबर को पनडुब्बी प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) का सफल प्रक्षेपण किया।

मिसाइल का परीक्षण पूर्व निर्धारित रेंज में किया गया और इसने अत्यधिक उच्च सटीकता के साथ बंगाल की खाड़ी में अपने लक्ष्य को साधा। हथियार प्रणाली के सभी ऑपरेशन्ल और तकनीकी मापदंडों को मान्य किया गया है।

आईएनएस अरिहंत से दागी गई मिसाइल

भारत के पास फिलहाल एकमात्र न्यूक्लियर बैलिस्टिक सबमरीन है जिसे 2009 में लॉन्च किया गया था।

बेहद ही गुप्त तरीके से वर्ष 2016 में भारत ने इस न्यूक्लियर सबमरीन को अपने जंगी बेड़े का हिस्सा बना लिया था।

लॉन्च के वक्त इस पनडुब्बी की एक तस्वीर आधिकारिक तौर से साझा की गई थी। लेकिन उसके बाद से कोई भी आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई थी।

शुक्रवार को एसएलबीएम मिसाइल लॉन्च के बारे में यह पहली बार है जब कोई आधिकारिक जानकारी साझा की गई।  

दूसरी परमाणु पनडुब्बी पर हो रहा काम

भारत के पास के-15 और के-4 एसएलबीएम मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 750 और 3500 किलोमीटर है जिन्हें अरिहंत से दागा जा सकता है।

इस के-मिसाइल को पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल-मैन, एपीजी अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।

अरिहंत से पहले भारत के पास एक दूसरी परमाणु पनडुब्बी थी, आईएनएस चक्र जो रूस से 10 साल के लिए लीज़ पर ली गई थी। लेकिन वो न्यूक्लियर-एनर्जी से चलने वाली (एसएसएन) सबमरीन थी लेकिन उसे न्यूक्लियर-बैलिस्टिक मिसाइस नहीं दागी जा सकती थी।

अरहिंत के अलावा भारत अब एक दूसरी परमाणु पनडुब्बी (एसएसबीएन), अरिघात पर भी काम कर रहा है, जिसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।

शुक्रवार का टेस्ट था यूज़र-ट्रायल

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, शुक्रवार का टेस्ट यूज़र-ट्रायल था यानि पनडुब्बी को इस्तेमाल करने वाली फोर्स ने इसका परीक्षण किया है। भारत के सभी परमाणु हथियार स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) की कमान में हैं जो सीधे पीएमओ यानि प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन है।

रक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक, आईएनएस अरिहंत द्वारा एसएलबीएम का सफल प्रक्षेपण एसएसबीएन यानि न्यूक्लियर बैलिस्टिक सबमरीन कार्यक्रम को मान्य करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का एक प्रमुख तत्व है। एक मजबूत, सुरक्षित बचे रहने और सुनिश्चित जवाबी क्षमता ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध’ की भारत की नीति के अनुरूप है और यह इसकी ‘पहले प्रयोग नहीं यानि नो फर्स्ट यूज’ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

भारत की न्यूक्लियर ट्राइड हो चुकी है पूरी

गौरतलब है कि भारत की न्यूक्लियर-ट्राइड यानि परमाणु-त्रिशक्ति पूरी हो चुकी है। भारत जल (समंदर के नीचे से), थल और आकाश तीनों से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।

भारत के पास आईएनएस अरिहंत पनडुब्बी है तो जमीन से लॉन्च की जाने वाली इंटर-कोन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि भी है और सुखोई फाइटर जेट से दागे जानी वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस भी है।

दुनिया के चुनिंदा देश ही हैं जिनकी न्यूक्लियर ट्राइड पूरी हो चुकी है। भारत उनमें से एक है। अभी तक चीन, अमेरिका और रूस सरीखे देश ही हैं जो इस श्रेणी में शामिल हैं।