रुपये में आयात-निर्यात सेटलमेंट को मंजूरी


चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में आरबीआइ ने बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय आयातकों व निर्यातकों को भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की इजाजत दे दी।

मुख्य बिंदु :-

  • ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक के फैसले से देश में डालर की मांग पर लगाम लगेगी। इससे रुपये का अवमूल्यन रुकेगा।
  • इस फैसले का एक दूसरा फायदा यह हो सकता है कि रूस, ईरान जैसे देश जिन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा है उनके साथ भी आयात-निर्यात में सहूलियत होगी।
  • हालांकि आरबीआइ के इस फैसले की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारतीय कारोबारी इसे कितना अमल में लाते हैं, क्योंकि पूर्व में भी आरबीआइ की तरफ से रुपये में कारोबार करने को लेकर मिले प्रोत्साहन को खास तवज्जो नहीं दी है। कीमत की वजह से वे डालर में ही कारोबार करना पसंद करते हैं। 
  • आरबीआइ की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि वैश्विक कारोबार में हिस्सेदारी बढ़ाने और वैश्विक समुदाय में भारतीय रुपये में कारोबार करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए आयात और निर्यात का सेटलमेंट भारतीय रुपये में भी करने का विकल्प दिया जा रहा है।
  • इसके तहत भुगतान का सेटलमेंट करने से पहले अधिकृत डीलरों (एडी) को आरबीआइ की केंद्रीय शाखा स्थित विदेशी मुद्रा विभाग से अनुमति लेनी होगी।
  • यह व्यवस्था तीन तथ्यों पर आधारित होगी-
  • विदेशी मुद्रा अधिनियम कानून, 1999 के तहत जो नियम तय किए गए हैं उनके अनुसार सभी तरह के आयातक व निर्यातकों को भारतीय रुपये में इनवायस की व्यवस्था होगी।
  • जिस देश के साथ कारोबार हो रहा है उसकी मुद्रा व भारतीय रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी।
  • इन कारोबारों का सेटलमेंट भारतीय रुपये में किया जाएगा। 

दूसरी मुद्राओं जैसे ही होंगे सेटलमेंट के नियम 

  • आरबीआइ ने स्पष्ट किया है कि रुपये में सेटलमेंट के नियम वैसे ही होंगे जैसे अभी दूसरी मुद्राओं के संदर्भ में है। निर्यातकों को रुपये की कीमत में प्राप्त इनवायस के बदले कर्ज लेने जैसी सुविधा भी सामान्य तौर पर मिलेगी।
  • निर्यातकों को विदेशी खरीदारों से अग्रिम भुगतान लेने का अधिकार होगा। कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी फेमा के तहत कवर होंगे। यह अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू होगी और अधिकृत डीलरों से कहा गया है कि इस बारे में वो सभी ग्राहकों को जानकारी उपलब्ध कराएं। 
  • पहली बार दुनिया के किसी भी देश के साथ भारतीय रुपये में कारोबार करने की इजाजत दी गई है। अभी तक ईरान जैसे एकाध देश के साथ इस तरह की व्यवस्था थी। नई अधिसूचना से रूस समेत किसी भी देश के साथ भारतीय निर्यातक अब रुपये में कारोबार कर सकेंगे। इसका सकारात्मक असर होगा।
  • यह भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा। अभी कई देशों के पास अभी डालर का भंडार नहीं है, ऐसे देश भारत के साथ रुपये में ही कारोबार करेंगे। इससे रूस के साथ कारोबार को बढ़ाने का माहौल बनेगा।

Source – IE