एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों की 18वीं बैठक


चर्चा में क्यों ?


दिनांक 14-18 अक्टूबर, 2022 तक भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी), एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों की 18वीं बैठक का आयोजन कर रहा है


मुख्य बिंदु :-


भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) दिनांक 14-18 अक्टूबर, 2022 तक एशियाई तटरक्षक एजेंसियों की प्रमुखों की बैठक (HACGAM) सचिवालय के समन्वय में 18वें HACGAM की मेजबानी कर रहा है।


18 देशों और दो अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कुल 55 प्रतिनिधि – एशिया में जहाजों के खिलाफ समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती का मुकाबला करने पर क्षेत्रीय सहयोग समझौता सूचना शेयरिंग सेंटर और यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम- ग्लोबल मैरीटाइम क्राइम प्रोग्राम (यूएनोडीसी-जीएमसीपी) – बैठक में भाग ले रहे हैं।


चार दिवसीय आयोजन के दौरान, समुद्री पर्यावरण संरक्षण, समुद्री खोजबीन एवं बचाव और समुद्री कानून प्रवर्तन के क्षेत्र में समुद्री प्रमुखता के मुद्दों पर कार्य-स्तरीय चर्चा और उच्च स्तरीय विचार-विमर्श किया जाएगा।


इसके अतिरिक्त एशियन कोस्ट गार्ड के प्रमुखों की इस मण्डली के प्रमुख परिणामों को शामिल करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा जो इस बहुपक्षीय मंच के लिए अगले HACGAM तक विभिन्न सहयोगी पहलों की योजना बनाने और संचालित करने के लिए रोडमैप के रूप में कार्य करेगा।


HACGAM के बारे में


उल्लेखनीय है की HACGAM 23 देशों का एक बहुपक्षीय मंच है। ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की, वियतनाम और एक क्षेत्र यानी हांगकांग (चीन)।

इसके अतिरिक्त दो अंतर्राष्ट्रीय संगठन।


पहला HACGAM 2004 में टोक्यो में जापान तटरक्षक बल द्वारा आयोजित किया गया था। यह एकमात्र ऐसा मंच है जहां एशियाई कोस्टगार्ड एजेंसियों के सभी प्रमुख एकत्रित होते हैं।


भारतीय तटरक्षक के बारे में


भारतीय तटरक्षक की स्थापना शांतिकाल में भारतीय समुद्र की सुरक्षा करने के उद्देश्य से 18 अगस्‍त 1978 को संघ के एक स्‍वतंत्र सशस्‍त्र बल के रूप में संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978 के अंतर्गत की गई।


भारत में तटरक्षक का आविर्भाव, समुद्र में भारत के राष्‍ट्रीय क्षेत्राधिकार के भीतर राष्‍ट्रीय विधियों को लागू करने तथा जीवन और संपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नई सेवा के तौर हुआ था।


इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि नौसेना को इसके युद्धकालीन कार्यों के लिए अलग रखा जाना चाहिए तथा विधि प्रवर्तन के उत्‍तरदायित्‍व के लिए एक अलग सेवा का गठन किया जाए, जोकि पूर्णरूप से सुसज्जित तथा विकसित राष्‍ट्र जैसे संयुक्‍त राज्‍य अमरीका, संयुक्‍त राज्‍य इत्‍यादि के तटरक्षकों के तर्ज पर बनाई गई हो।


‘’वयम् रक्षाम: याने हम रक्षा करते हैं’’ भारतीय तटरक्षक का आदर्श वाक्‍य है।


कर्तव्य एवं सेवाएं


भारतीय तटरक्षक, भारत के समुद्री क्षेत्रों में लागू सभी राष्ट्रीय अधिनियमों के उपबंधों का प्रवर्तन करने के लिए प्रमुख संस्था है, जो राष्ट्र एवं समुद्री समुदाय के प्रति निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता हैI


हमारे समुद्री क्षेत्रों में कृत्रिम द्वीपों, अपतटीय संस्थापनाओं तथा अन्य संरचना की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना।


मछुवारों की सुरक्षा करना तथा समुद्र में संकट के समय उनकी सहायता करना।
समुद्री प्रदूषण के निवारण और नियंत्रक सहित हमारे समुद्री पर्यावरण का संरक्षण और परिरक्षण करना।


तस्करी-रोधी अभियानों में सीमा-शुल्क विभाग तथा अन्य प्राधिकारियों की सहायता करना।


भारतीय समुद्री अधिनियमों का प्रवर्तन करना।


समुद्र में जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना।
Source – PIB